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देश के विकास में भगत सिंह की तरह योगदान दें युवा प्रो. टंकेश्वर कुमार

-हकेवि में शहीद दिवस के अवसर पर राष्ट्रीय सेमिनार आयोजित

 

महेंद्रगढ़  : हरियाणा केंद्रीय विश्वविद्यालय (हकेवि), महेंद्रगढ़ में शहीदी दिवस के उपलक्ष्य में भगत सिंह की प्रासंगिकताः तब और अब विषय पर मंगलवार को राष्ट्रीय सेमिनार का आयोजन किया गया। विश्वविद्यालय के अनुसूचित जाति/जनजाति प्रकोष्ठ द्वारा आयोजित इस सेमिनार में विशेषज्ञ वक्ता के रूप में जवाहर लाल नेहरू विश्वविद्यालय के पूर्व प्रो. चमन लाल व डॉ. बी.आर. अम्बेडकर विश्वविद्यालय, दिल्ली के प्रो. गोपाल जी प्रधान उपस्थित रहे। इस अवसर पर विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. टंकेश्वर कुमार ने अपने संबोधन में युवाओं को भगत सिंह के जीवन से प्रेरणा लेते हुए देश के विकास में योगदान हेतु प्रेरित किया। उन्होंने कहा कि यह सर्वविदित है कि शहीद भगत सिंह ने देश के लिए सर्वोच्च बलिदान दिया और आज की बात करें तो अगर हम अपने कर्त्तव्यों का निर्वहन ईमानदारी के साथ करते हैं तो यह देश के विकास के लिए उनका सही मायने में योगदान होगा।

कुलपति ने अपने संबोधन में भगत सिंह के बलिदान को याद करते हुए उनके द्वारा सामाजिक सौहार्द व लोकतांत्रिक मूल्यों की रक्षा हेतु प्रस्तुत विचारों का भी उल्लेख किया और उन्हें समझकर आगे बढ़ने के लिए सभागार में उपस्थित युवाओं को प्रेरित किया। विश्वविद्यालय के कुलगीत के साथ आरंभ हुए इस कार्यक्रम की शुरुआत में अनुसूचित जाति/जनजाति प्रकोष्ठ के संयोजक प्रो. अंतरेश कुमार ने कुलपति का परिचय दिया और कार्यक्रम की रूपरेखा प्रस्तुत की। इसके पश्चात प्रकोष्ठ की सदस्य डॉ. टी. लोंग्कोई ने प्रो. चमन लाल व श्री राकेश मीणा ने प्रो. गोपाल जी प्रधान का परिचय प्रस्तुत किया। विशेषज्ञ वक्ता प्रो. चमन लाल ने अपने संबोधन में भगत सिंह के स्वाधीनता संग्राम में योगदान के साथ-साथ उनके द्वारा प्रस्तुत लोकतांत्रिक मूल्यों व सामाजिक कुरूतियों के खिलाफ प्रस्तुत विचारों पर भी प्रकाश डाला। प्रो. चमन लाल ने अनेकों उदाहरणों के माध्यम से भारत के निर्माण और उसके लिए आवश्यक विभिन्न मूल्यों को भी प्रस्तुत किया। इसी क्रम में प्रो. गोपाल जी प्रधान ने भगत सिंह के माध्यम से आजादी की लड़ाई और उसके बाद आजाद भारत के निर्माण हेतु प्रस्तुत विचारों का उल्लेख करते हुए भगत सिंह के योगदान का स्मरण कराया। उन्होंने मुकदमें के दौरान भगत सिंह के द्वारा निरंतर प्रस्तुत किए जाने वाले विचारों को भारत के भविष्य के लिहाज से महत्त्वपूर्ण बताया और कहा कि नए भारत के निर्माण हेतु उनके विचार आज भी उपयोगी हैं। कार्यक्रम के अंत में सवाल-जवाब सत्र का भी आयोजन किया गया, जिसमें विशेषज्ञों ने प्रतिभागियों की विभिन्न जिज्ञासाओं पर भी अपने विचार प्रस्तुत किए। कार्यक्रम के अंत में प्रकोष्ठ के सदस्य डॉ. शाहजहां ने धन्यवाद ज्ञापन प्रस्तुत किया। इस अवसर पर प्रो. पवन कुमार मौर्य, प्रो. दिनेश चहल, प्रो. बीरपाल सिंह, डॉ. समीक्षा गोदारा, डॉ. प्रदीप कुमार, डॉ. कामराज सिंधु, डॉ. अमित कुमार, डॉ. अभिरंजन, डॉ. सिद्धार्थ शंकर राय, डॉ. रविंद्र सिंह सहित विभिन्न विभागों के शिक्षक, विद्यार्थी व शोधार्थी उपस्थित रहे।

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