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महर्षि अरविंद ने किया था वंदे मातरम का प्रथम सार्वजनिक उदघोष प्रो. अरुण चौधरी

श्रीअरबिंदो कॉलेज ने वंदे मातरम के 150 वर्ष पूर्ण होने पर कॉलेज की नैतिकायन, एनएसएस और आक्राया सामाजिक व शैक्षिक संस्था के संयुक्त तत्वावधान में एक गरिमामय समारोह का आयोजन किया

नई दिल्ली।    दिल्ली विश्वविद्यालय से संबद्ध श्री अरबिंदो कॉलेज ने वंदे मातरम के 150 वर्ष पूर्ण होने पर कॉलेज की  नैतिकायन, एनएसएस और आक्राया सामाजिक व शैक्षिक संस्था के संयुक्त तत्वावधान में एक गरिमामय समारोह का आयोजन किया गया। इस अवसर पर दिल्ली भाजपा के अध्यक्ष श्री वीरेंद्र सचदेवा मुख्य अतिथि , विशिष्ट अतिथि प्रो. अभिषेक टंडन  रहे । कार्यक्रम की अध्यक्षता कॉलेज के प्राचार्य प्रो. अरुण चौधरी ने की। कॉलेज की सभी सामाजिक संस्थाओं के अलावा प्रो.हंसराज सुमन , डॉ.विनय भारद्वाज , प्रो.मीता माथुर , प्रो.संगीता कौल , डॉ.महेश कौशिक व सैंकड़ों छात्र व कर्मचारी उपस्थित रहे । 

                मुख्य अतिथि श्री वीरेंद्र सचदेवा ने 76 वें संविधान दिवस के अवसर पर अपनी शुभकामनाएँ देते हुए कहा कि देश के नागरिक जब अपने कर्तव्यों का ईमानदारी से पालन करते हैं तभी राष्ट्र सशक्त बनता है। हमारा यह संविधान सभी को समान अवसर प्रदान करता है । उन्होंने कहा कि यह संविधान की ताकत ही है कि देश के प्रत्येक व्यक्ति को समता , न्याय , बंधुत्व व सामाजिक समरसता देता है । श्री सचदेवा ने आगे कहा कि भारत का संविधान भारत की आत्मा है , देश कैसे चलेगा यह सब इसमें निहित है । हमें इसे गलियारों , कस्बों व झुग्गी बस्तियों तक ले जाना है तभी संविधान व बाबा साहेब डॉ.अंबेडकर का सपना पूरा होगा । श्री सचदेवा अरबिंदो कॉलेज के पूर्व छात्र रहे हैं इसलिए भावुकता में उन्होंने अपने कॉलेज के दिनों को याद करते हुए कई रोचक प्रसंग सुनाएं । साथ ही उन्होंने अरबिंदो व वंदे मातरम के इतिहास का भी वर्णन किया । 

      विशिष्ट अतिथि प्रो. अभिषेक टंडन ने अपने संबोधन में  कहा कि वंदे मातरम भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन की भावना और आज के भारत की आकांक्षाओं को एक सूत्र में पिरोता है। उन्होंने छात्रों से अपील की कि वह आजादी के समय में जिस तरह से वंदे मातरम की गूंज सुनाई देती थीं ठीक उसी तरह श्री महर्षि अरविंद ने आजादी के आंदोलन में अपना महत्त्वपूर्ण योगदान दिया है । उन्होंने संविधान दिवस की शुभकामनाएं देते हुए कहा कि दुनिया के सबसे बड़े लोकतंत्र भारत की मूल संवैधानिक भावना और इसकी समावेशी सोच को सशक्त बनाया जाए और इसमें दिए गए अधिकार व कर्तव्यों का सही से पालन वर्तमान की केंद्र सरकार कर रही है । 

          अपने अध्यक्षीय भाषण में कॉलेज के प्राचार्य प्रो. अरुण चौधरी ने अपने संबोधन में वंदे मातरम की ऐतिहासिक भूमिका पर प्रकाश डालते हुए बताया कि महर्षि अरविंद द्वारा इसका प्रथम सार्वजनिक उदघोष राष्ट्रजागरण का महत्वपूर्ण क्षण था। उन्होंने कहा कि हमारा कॉलेज महर्षि अरविंद के विचारों को छात्रों तक पहुंचाने के लिए समय- समय पर वाद - विवाद , निबंध लेखन , कहानी व  नुक्कड़ नाटकों के माध्यम से अनेक प्रतियोगिताएं कर जानकारी दी जाती है ताकि महर्षि अरविंद के विचारों को वह अपने जीवन में उतारें । प्रो. चौधरी ने छात्रों को यह संकल्प दिलाया कि वे अरबिंदो के द्वारा बताए हुए मार्ग पर चलकर उनसे प्रेरणा ले और अपने जीवन में उतारें । 

        प्राचार्य प्रो. अरुण चौधरी ने इस अवसर पर अपने संबोधन में 76 वें संविधान दिवस की हार्दिक शुभकामनाएं देते हुए कहा कि संविधान एक पुस्तक नहीं बल्कि राष्ट्रीय ग्रंथ है । उन्होंने बताया कि देश को चलाने के लिए संविधान की आवश्यकता पड़ी जिसे बाबा साहेब डॉ.भीमराव अंबेडकर ने दो साल ग्यारह महीने अठारह दिन में तैयार कर 26 नवम्बर सन 1949 को सौंपा और 26 जनवरी 1950 से लागू किया गया । इस संविधान ने सभी धर्मों की पूजा पद्धति को मौका दिया है । उन्होंने बताया कि डॉ.अम्बेडकर एक दूर द्रष्टा थे , भारत के विधाता , नारी के उद्धारक , सामाजिक न्याय के समर्थक , विधिवत व पत्रकार भी थे जिन्होंने सन 1920 में मुकनायक समाचार पत्र निकाला । इस पत्र में बहुजन समाज की समस्याओं व स्वतंत्रता संग्राम में लड़ने वाली युवा पीढ़ी के द्वारा किए गए कार्यों का वर्णन होता था । उन्होंने आजादी के समय लड़ने वाले जन नायकों को भी याद किया । 

           कार्यक्रम के अंत में संयोजक डॉ. महेश कौशिक ने सभी अतिथियों, संकाय सदस्यों और छात्रों का धन्यवाद ज्ञापित किया। समारोह में सैकड़ों विद्यार्थियों की उपस्थिति ने कार्यक्रम को विशेष रूप से सफल बनाया।

 

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