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एनईपी का लक्ष्य है नागरिकों को विचार, बौद्धिकता व कार्यव्यवहार से भारतीय बनाना अतुल कोठारी

नेशनल क्रेडिट फ्रेमवर्क, इंडियन नॉलेज सिस्टम और मूल्य प्रवाह‘ विषय पर एक दिवसीय कार्यशाला का आयोजन किया गया।

  • -हकेवि में राष्ट्रीय शिक्षा नीति पर हुआ मंथन
  • -विभिन्न विश्वविद्यालय के कुलपतियों ने क्रियान्वयन के विभिन्न पहुलओं पर किया विमर्श

हरियाणा केंद्रीय विश्वविद्यालय (हकेवि), महेंद्रगढ़ में राष्ट्रीय शिक्षा नीति (एनईपी) के कार्यान्वयन व राष्ट्रीय
पाठ्यक्रम की रूपरेखा पर विमर्श हेतु शुक्रवार को ‘एनईपी 2020 कार्यान्वयन और राष्ट्रीय पाठ्यक्रम रूपरेखाः
नेशनल क्रेडिट फ्रेमवर्क, इंडियन नॉलेज सिस्टम और मूल्य प्रवाह‘ विषय पर एक दिवसीय कार्यशाला का
आयोजन किया गया। आयोजन में शिक्षा संस्कृति उत्थान न्यास के राष्ट्रीय सचिव श्री अतुल कोठारी मुख्य
अतिथि व हरियाणा राज्य उच्चतर शिक्षा परिषद् के उपाध्यक्ष प्रो. के.सी. शर्मा विशिष्ट अतिथि के रूप में
उपस्थित रहे जबकि कार्यक्रम की अध्यक्षता हरियाणा केंद्रीय विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. टंकेश्वर कुमार ने की
और इस अवसर पर विश्वविद्यालय की समकुलपति प्रो. सुषमा यादव सहित प्रदेश के विभिन्न विश्वविद्यालयों के
कुलपतियों की गरिमामयी उपस्थिति रही।
विश्वविद्यालय के लघु सभागार में आयोजित इस कार्यक्रम की शुरूआत विश्वविद्यालय के कुलगीत व दीप
प्रज्जवलन के साथ हुई। विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. टंकेश्वर कुमार ने अतिथियों का स्वागत करते हुए कहा कि
राष्ट्रीय शिक्षा नीति-2020 को आए तीन साल का समय होने जा रहा है और इसका उद्देश्य पाठ्यक्रम में
बदलाव, विद्यार्थियों को अत्याधुनिक तकनीक से अवगत करा ग्लोबल सिटीजन बनाना और भारतीयता के भाव
से परिचित कराना है। इसी उद्देश्य की प्राप्ति के लिए नेशनल क्रेडिट फ्रेमवर्क, इंडियन नॉलेज सिस्टम और मूल्य
प्रवाह के सफलतम क्रियान्वयन के लिए प्रयास जारी हैं। उन्होंने सभी सहयोगी कुलपतियों के साथ-साथ मुख्य
अतिथि व विशिष्ठ अतिथि का स्वागत करते हुए कहा कि आज के समय में पढ़ाई विद्यार्थी केंद्रित नहीं बल्कि
अध्ययन केंद्रित है और एनईपी का उद्देश्य विद्यार्थियों में क्षमताओं का विकास कर उन्हें भारतीय ज्ञान परम्परा
से अवगत कराना है। आयोजन में सम्मिलित मुख्य अतिथि श्री अतुल कोठारी ने अपने संबोधन में कहा कि यह
तीसरी शिक्षा नीति है और इसका मूल उद्देश्य ऐसे नागरिकों का निर्माण करना है जो कि विचार, बुद्धिमत्ता और
कार्यव्यवहार से भारतीय हों। उन्होंने कहा कि शिक्षा नीति विद्यार्थियों के सर्वांगीण विकास की बात करती है,
जिसके लिए प्राचीन भारतीय परम्परा में वर्णित ज्ञान को अध्ययन के लिए उपलब्ध कराना होगा। वेदों से लेकर
भारत के पूर्व राष्ट्रपति डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम द्वारा प्रस्तुत विचार भारतीय ज्ञान की श्रेणी में आते हैं। आज के
समय में देश-दुनिया में उपस्थित विभिन्न चुनौतियों का समाधान भारतीय ज्ञान से ही संभव है। इसी क्रम में
मूल्यों व कौशल की शिक्षा भी महत्त्वपूर्ण है। जिस पर शिक्षा नीति में विशेष रूप से जोर दिया गया है और
ज्ञान, चरित्र और कौशल विकास के सहारे ही आत्मनिर्भरता के लक्ष्य को प्राप्त किया जा सकता है। हमें चाहिए
कि ऐसी शिक्षा नीति हो जिससे समृद्ध, शक्तिशाली व सम्पन्न भारत का निर्माण हो। मुख्य अतिथि का परिचय
विश्वविद्यालय की समकुलपति प्रो. सुषमा यादव ने प्रतिभागियों से कराया और बताया कि किस तरह से श्री
अतुल कोठारी शिक्षा के क्षेत्र में निरंतर कार्य कर रहे हैं।
कार्यक्रम में विशिष्ट अतिथि प्रो. के.सी. शर्मा ने कहा कि यह भारत की तीसरी शिक्षा नीति है जो लगभग 34
वर्षों के बाद आई है। इसके क्रियान्वयन को लेकर अक्सर अनुदान की अनुपलब्धता का उल्लेख किया जाता है
जबकि शिक्षा नीति में वर्णित 80 से 85 फीसद अनुशंसाएं ऐसी हैं जिनके लिए अनुदान की आवश्यक नहीं है।

उन्होंने कहा कि पाठ्यक्रम निर्माण की प्रक्रिया इस नीति के क्रियान्वयन हेतु महत्त्वपूर्ण है और भारतीय ज्ञान
परम्परा का अध्ययन करने पर हम इस नीति के लक्ष्यों की प्राप्ति सुनिश्चित कर सकते हैं। नई शिक्षा नीति बुद्धि
के विकास के साथ-साथ कौशल सम्पन्नता का भी उल्लेख करती है। इसके लिए सामूहिक प्रयास करने होंगे और
देश को बदलना है तो शिक्षा को भी बदलना होगा।
आयोजन के दूसरे सत्र में भारतीय ज्ञान परम्परा पर विमर्श हुआ, जिसमें श्री विश्वकर्मा स्किल यूनिवर्सिटी के
कुलपति प्रो. राज नेहरू ने ऑनलाइन माध्यम से अपनी बात रखी और भारतीय ज्ञान परम्परा के पुरातन संदर्भों
का उल्लेख किया। इसी क्रम में नेशनल क्रेडिट फ्रेमवर्क और मूल्य प्रवाह पर केंद्रित सत्रों का आयोजन भी हुआ।
इसमें प्रो. अजमेर सिंह मलिक, कुलपति, चौधरी देवी लाल विश्वविद्यालय; डॉ. रणपाल सिंह, कुलपति, चौधरी
रणबीर सिंह विश्वविद्यालय; प्रो. जे.पी. यादव, कुलपति इंदिरा गाँधी विश्वविद्यालय; प्रो. नरसी राम बिश्नोई,
कुलपति, गुरु जम्भेश्वर विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय; प्रो. रमन्ना रेड्डी, निदेशक, राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी
संस्थान और डॉ. आर.के. अनायत, कुलपति, दीनबंधु छोटू राम विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय ने अपने
विचार व्यक्त किए। इन सत्रों का संचालन क्रमशः प्रो. नंद किशोर, प्रो. संजीव कुमार और हकेवि की समकुलपति
प्रो. सुषमा यादव ने किया। कार्यक्रम के समापन सत्र में प्रो. नंद किशोर ने कार्यशाला की रिपोर्ट प्रस्तुत की।
कार्यक्रम में मंच का संचालन डॉ. रेनु यादव व डॉ. नीरज कर्ण सिंह ने किया। कार्यशाला के अंत में
विश्वविद्यालय के कुलसचिव प्रो. सुनील कुमार ने धन्यवाद ज्ञापन प्रस्तुत किया।

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