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Arvindo College organizes Second Debate and Discussion competition

डॉ. अम्बेडकर आधुनिक बुद्ध के रूप में स्वीकृत --डॉ. सुमन

नई दिल्ली। दिल्ली विश्वविद्यालय से संबद्ध श्री अरबिंदो कॉलेज के हिन्दी विभाग की साहित्यिक संस्था  नवोन्मेष साहित्य सभा के तत्वावधान में सोमवार को कॉलेज के सेमिनार कक्ष में बाबा साहेब डॉ भीमराव अम्बेडकर के  सपनों के भारत दृष्टि पर आधारित  "बाबा साहब के स्वप्न और वर्तमान भारत " विषय पर एक अंतर महाविद्यालय वाद - विवाद प्रतियोगिता का आयोजन किया गया। वाद -विवाद प्रतियोगिता का उद्घाटन हिन्दी विभाग के प्रभारी डॉ.हंसराज सुमन ने दीप प्रज्वलित करके किया । वाद -विवाद प्रतियोगिता में पक्ष व विपक्ष में 17 कॉलेजों की टीमों ने भाग लिया । निर्णायक मंडल में डॉ.प्रदीप कुमार सिंह व डॉ.अभिनव प्रकाश थे । 

विभाग प्रभारी डॉ हंसराज सुमन ने वाद- विवाद प्रतियोगिता का उद्घाटन करते हुए अपने संबोधन में कहा कि बाबा साहेब के जीवन दर्शन एवं उनके विचारों को हमें अपने व्यक्तित्व एवं व्यवहार में उतारने की आवश्यकता है । डॉ.सुमन ने आगे कहा कि बाबा साहेब किसी एक समुदाय के लिए नहीं बल्कि पूरे भारतीय समाज के उत्थान के लिए कार्य कर रहे थे। उनका मानना था कि देश जब तक अपने ही लोगों को बराबरी एवं बंधुत्व की नजर से नहीं देखेगा और एक बड़े समाज को राजनीतिक अधिकार नहीं मिल जाते तब तक उसका विकास अधूरा ही माना जायेगा इसलिए सबसे पहले हमें उस हाशिये पर खड़े व्यक्ति और समाज के बारे में सोचना है जो मुख्यधारा से बाहर है । 

डॉ. सुमन ने बताया कि हम एक स्तर पर उनके सपनों को पूरा होता हुआ देख सकते हैं जब वर्तमान सरकार कहती है कि सबका साथ , सबका विकास , तो असल में हमें बाबा साहेब के ही सामाजिक न्याय और समरसता के सिद्धांतों की प्रतिध्वनि ही सुनाई पड़ती है और जिस प्रकार वर्तमान समय में बाबा साहेब अंबेडकर को एक महान सुधारक एवं पिछड़े समाज को आगे ले जाने वाले एक आधुनिक बुद्ध के रूप में महसूस किया जा रहा है वह इसके पहले नहीं था , तब बाबा साहेब संविधान निर्माता के रूप में ज्यादा जाने जाते थे । जबकि वर्तमान समाज और राजनीतिक दल भी समाज के लिए अनेक स्तरों पर उनके योगदान एवं उनके बहुआयामी व्यक्तित्व को समझ चुका है । उन्होंने बताया कि एक सीमा तक उनके स्वप्न साकार होते हुए हम स्पष्ट रूप से देख सकते हैं जिसमें छुआछूत , मेला ढोने की प्रथा और अंतरजातीय विवाहों पर प्रतिबंध एवं सबसे बड़ी बात दलित अस्मिता के संकट से उभर रहे संकट के रूप में भी देख सकते है ।

इस प्रतियोगिता में छात्रों को तीन पुरस्कार प्रथम पुरस्कार 1100 रुपये , दूसरा --7 50  रुपये व तीसरा --500 रुपये के रूप में दिया गया । इसमें पहला पुरस्कार शहीद भगतसिंह कॉलेज की छात्रा कु.अंजली को दिया गया , दूसरा पुरस्कार भी शहीद भगतसिंह कॉलेज के छात्र श्री रोहित मोदी को व तीसरा पुरस्कार अरबिन्दो कॉलेज के छात्र श्री अमित पाल को दिया गया । वाद -विवाद प्रतियोगिता को सफल बनाने में नवोन्मेष साहित्य सभा के छात्रों का विशेष योगदान रहा जिसमें कु . रिशिता बघेल , कु.ललिता , कु.वर्तिका , कु. प्रीति व श्री शोभित कुमार आदि थे ।

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