Latest News

एकेडेमिक काउंसिल की मीटिंग में उठाया जाएगा एडहॉक से गेस्ट टीचर्स में तब्दील किए जाने का मुद्दा

एडहॉक पदों पर एससी /एसटी /ओबीसी , पीडब्ल्यूडी व ईडब्ल्यूएस कोटे के अभ्यर्थियों की होनी है नियुक्ति

 
नई दिल्ली: फोरम ऑफ एकेडेमिक्स फ़ॉर सोशल जस्टिस के चेयरमैन व दिल्ली विश्वविद्यालय की विद्वत परिषद के पूर्व सदस्य डॉ. हंसराज  सुमन ने बताया है कि मंगलवार 22 नवम्बर को हो रही एकेडमिक काउंसिल की मीटिंग काफी हंगामेदार होने की संभावना है । इस मीटिंग में छात्र -शिक्षक अनुपात को लेकर व एडहॉक पदों को गेस्ट टीचर्स में तब्दील किए जाने पर भी बहस की संभावना है । बता दें कि नई शिक्षा नीति के अंतर्गत शिक्षक -छात्र अनुपात को दुरूस्त करने के नाम पर जहाँ शिक्षकों की संख्या बढ़ाकर शिक्षक -छात्र अनुपात ठीक किया जाना था वहीं ऐसा न करके कक्षाओं में , लैब में एवं ट्यूटोरियल में बड़े - बड़े समूह ( ग्रुप ) बना दिए गए हैं । इसके अलावा भारी संख्या में हो रहे डिस्प्लेसमेंट पर भी घमासान होने की संभावना है । वाइस चांसलर के लगातार निर्देशों के बावजूद कार्यवाहक रूप में काम कर रहे अनेक प्रिंसिपलों की स्थायी नियुक्ति न होने के चलते शिक्षकों की नियुक्तियों में बाधा उत्पन्न हो रही है । कुछ कॉलेजों ने तो स्थायी नियुक्तियों के अब तक विज्ञापन ही नहीं निकाले । जो कि दिल्ली विश्वविद्यालय प्रशासन के निर्देशों का सरेआम उल्लंघन है ।
 
फोरम के चेयरमैन डॉ .हंसराज सुमन ने बताया है कि एकेडमिक काउंसिल की मीटिंग में फोरम व डीटीए के पूर्व दो सदस्य प्रोफ़ेसर आशा रानी व डॉ.सुनील कुमार  विश्वविद्यालय के मुद्दों को बेबाकी से उठायेंगे । इन मुद्दों में स्थायी व एडहॉक पदों पर होने वाली शिक्षकों की नियुक्तियों को कॉलेज प्रिंसिपलों द्वारा इन पदों को गेस्ट टीचर्स में तब्दील कर नियुक्ति कर रहे है जबकि विश्वविद्यालय प्रशासन ने ओबीसी कोटे के सेकेंड ट्रांच के स्वीकृत पदों को एडहॉक से गेस्ट टीचर्स  में तब्दील करने संबंधी कोई सर्कुलर जारी नहीं किया है । इन पदों में सबसे ज्यादा पद एससी, एसटी , ओबीसी , पीडब्ल्यूडी व ईडब्ल्यूएस कोटे के हैं । उन्होंने बताया है कि जुलाई 2022 के बाद कॉलेजों में ओबीसी सेकेंड ट्रांच (दूसरी किस्त ) के पदों का रोस्टर रजिस्टर बनाकर पदों को भरा जाना है । इसके अतिरिक्त जहाँ शिक्षक सेवानिवृत्त हुए हैं उन पदों को भी वे एडहॉक के स्थान पर गेस्ट टीचर्स में तब्दील किया जा रहा है । इस नीति का फोरम ने पहले भी विरोध किया है और भविष्य में जब तक करता रहेगा तब तक  इसे वापस नहीं  लिया जाता । 
 
डॉ.सुमन ने बताया है कि एकेडमिक काउंसिल के सदस्यों द्वारा ईडब्ल्यूएस के कारण छात्रों की 25 फीसदी सीटें बढ़ी है और कॉलेजों ने उन पर एडमिशन भी किया है लेकिन विश्वविद्यालय प्रशासन ने अभी तक 10 फीसदी अतिरिक्त शिक्षकों के पदों पर नियुक्ति करने व उनका रोस्टर पास कर विज्ञापन निकालने के लिए सर्कुलर जारी नहीं किया । उन्होंने बताया है कि विश्वविद्यालय ने कॉलेजों से ईडब्ल्यूएस कोटे की सीटों के बढ़ने के आंकड़े तो मंगवा लिए लेकिन आज तक सीटें नहीं दी । इस मुद्दे पर भी मीटिंग में हंगामा हो सकता है । 
 
डॉ.सुमन ने बताया है कि विभिन्न कॉलेजों ने अपने यहां एडहॉक के स्थान पर गेस्ट टीचर्स रखने के विज्ञापन निकाले जबकि उन कॉलेजों में एडहॉक पदों पर नियुक्ति की जा सकती है । उनका कहना है कि इन एडहॉक पदों पर एससी /एसटी /ओबीसी व ईडब्ल्यूएस कोटे के अभ्यर्थियों की सीटें बनती है । हालांकि कॉलेज इन गेस्ट टीचर्स में आरक्षित वर्गों को प्रतिनिधित्व दे रहे हैं मगर वे इन वर्गों की स्थायी सीटों को समाप्त कर उसे गेस्ट टीचर्स में बदलकर यूजीसी व डीओपीटी के नियमों की सरेआम अवहेलना कर रहे है । उनका यह भी कहना है कि गेस्ट टीचर्स की छात्रों के प्रति कोई जवाबदेही नहीं है। वह आएगा और कक्षा लेकर चला जायेगा। साथ ही स्थायी नियुक्ति के समय उसके अनुभव को कॉलेज कोई महत्व नहीं देता । 
 
डॉ. सुमन ने बताया है कि डीयू कॉलेजों में गेस्ट टीचर्स लगाना आसान है क्योंकि कॉलेज इन पदों को भरने में आरक्षण रोस्टर को लागू तो करते है लेकिन एक एडहॉक पद को दो पदों में तब्दील कर देते है जो कि एक आरक्षित व दूसरा किसी अन्य श्रेणी के लिए बना देते है । उन्होंने बताया है कि सरकार की नीति है कि धीरे-धीरे एडहॉक पदों को समाप्त कर उन्हें गेस्ट टीचर्स में तब्दील कर ना , इससे आरक्षण नीति को समाप्त करना है। यदि स्थायी / या एडहॉक पद निकाले जाएंगे तो रोस्टर और आरक्षण लागू करना पड़ेगा । डॉ.सुमन ने बताया है कि अधिकांश कॉलेजों में 50 से 60 फीसदी पद आरक्षित वर्गों के खाली पड़े है जिसे कॉलेजों द्वारा भरा जाना है । लेकिन कॉलेजों ने भी अपना रोस्टर बनाकर रखा हुआ है मगर विश्वविद्यालय से पास नहीं करा रहे । इस मुद्दे को भी दोनों एकेडमिक काउंसिल के सदस्य उठाएंगे ।
 
डॉ.  सुमन का कहना है कि विश्वविद्यालय नीति के अनुसार, नए पदों को अस्थायी / एडहॉक व्यवस्था के माध्यम से भरा जा सकता है जब तक कि पदों को स्थायी आधार पर लंबे समय से नहीं भर रहे हैं । उनका कहना है कि यदि एडहॉक पदों को गेस्ट टीचर्स में तब्दील करना है या इस व्यवस्था में किसी तरह का बदलाव करना था या नीति को बदलना है तो विश्वविद्यालय की एकेडमिक काउंसिल में इस मुद्दे को लाना चाहिए था लेकिन बिना एसी व ईसी में पास किए लागू कर दिया गया । उन्होंने बताया है कि अगस्त 2019 में भी एडहॉक टीचर्स व स्वीकृत पदों को गेस्ट टीचर्स में तब्दील किया गया था लेकिन डूटा के विरोध के बावजूद इस नीति व सर्कुलर को वापस लेना पड़ा था । उन्होंने बताया है कि इन तमाम मुद्दों पर सदस्यों द्वारा वाइस चांसलर को घेरा जाएगा । इसके अलावा स्थायी नियुक्ति की प्रक्रिया को जारी रखने की भी मांग की जाएगी । 

Click Here for More Latest News