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भारत के जन जीवन का अभिन्न अंग है विक्रमी संवत

देश, समाज और व्यक्ति निर्माण है संघ का लक्ष्यI बंद संगठन नहीं है आर एस एसI

नई दिल्ली। नेशनल डेमोक्रेटिक टीचर्स फ्रंट ने भारतीय नव वर्ष चैत्र शुक्ल प्रतिपदा, विक्रमी संवत 2080  के अवसर पर सत्यवती कॉलेज में एक कार्यक्रम का आयोजन किया।  इस कार्यक्रम में दिल्ली विश्वविद्यालय के शिक्षकों ने बड़ी संख्या में हिस्सेदारी की। कार्यक्रम के मुख्य अतिथि आर एस एस के अखिल भारतीय सह प्रचार प्रमुख श्री आलोक जी ने राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ का वैशिष्ट्य विषय पर शिक्षकों को सम्बोधित करते हुए कहा कि आज का दिन भारतीय परम्परा और संस्कृति में बहुत महत्त्वपूर्ण माना जाता है। यह दिन देश भर में अलग -अलग रूपों और परम्परा से मनाया जाता है। भारतीय संस्कृति और परम्परा से विक्रमी संवत का अभिन्न सम्बंध है।देश भर के आचार-विचार,उत्सव और तीज त्यौहार इससे जुड़े हुए हैं। पूरा जन-जीवन अपने दैनिक कामकाज में विक्रमी संवत का प्रयोग कर रहा है। 


आलोक जी ने कहा कि संघ व्यक्ति निर्माण के लक्ष्य को लेकर चलता है। इसलिए संघ का कार्य निरन्तर चलता रहता है। संघ ने व्यक्ति निर्माण के लिए अपने प्रयासों को कठिन समय में भी नहीं छोड़ा। संघ ने महिलाओं की भूमिका को देखते राष्ट्र सेविका प्रकल्प की शुरूआत की। पुरानी शिक्षा नीति में खामियों को देखते सरस्वती शिशु शिक्षा मंदिर आरंभ किए जिनमें प्राचीन ज्ञान परम्परा और भारतीयता को प्राथमिकता दी गई। इसी तरह समाज जीवन के अनेक क्षेत्रों में आवश्यकता अनुभव करते हुए अनेक संगठन निर्मित कर समाज और व्यक्ति निर्माण के कार्य को आगे बढ़ाया। संघ ने पूर्वोत्तर के हजारों विद्यार्थियों की शिक्षा को लेकर महत्त्वपूर्ण योगदान दिया। संघ के अनेक कार्यकर्त्ता दुर्गम क्षेत्रों और विषम परिस्थितियों में काम करते हुए अपने जीवन से हाथ धो बैठे लेकिन संघ का काम कभी नहीं रुका। आलोक जी ने बताया कि कि संघ ने मौन क्रांति की है।नक्सलवाद अपनी हिंसा के कारण हाशिए पर चला गया लेकिन संघ ने देश, समाज और व्यक्ति निर्माण में अपने ध्येय को शांतिपूर्ण तरीके से आगे बढ़ाने का काम किया इसलिए संघ निरंतर विस्तृत होता जा रहा है।देश में एकल अभियान के अस्सी हजार विद्यालय चलाए जा रहे हैं। संघ में व्यक्ति के अहंकार के लिए स्थान नहीं है। संघ में सामूहिक निर्णय की पद्धति है। संघ बंद संगठन नहीं है। सभी विषयों पर व्यापक चर्चा के बाद ही संगठन में निर्णय लिए जाते हैं। संघ के लिए देश हित सर्वोपरि है। मजदूर किसान, महिला और वनवासी आदि सभी के लिए संगठन कार्यरत है। जातिगत भेदभाव का खात्मा संघ का लक्ष्य है इसलिए समरसता उसकी प्राथमिकता है। पर्यावरण की चिंता भी संघ के एजेंडे में है।संघ ने जल ,जंगल जमीन, साफ हवा और पानी के लिए काम करने की आवश्यकता है। पश्चिमी संस्कृति का दुष्प्रभाव दिनोंदिन बढ़ रहा है। इस पर विचार करना चाहिए।


एन डी टी एफ अध्यक्ष प्रो अजय कुमार भागी ने इस अवसर पर शिक्षकों को सम्बोधित करते हुए कहा कि हमारे लिए देश और समाज हित सर्वोपरि है। डी यू में ए सी और ई सी में मिली जीत विचार की जीत का प्रमाण है। एनडीटीएफ ने निरंतर शिक्षक हित और विश्विद्यालय हित के लिए कार्य किया है। पिछले आठ वर्ष में यूनीवर्सिटी में नियमतीकरण और प्रमोशन की प्रकिया आरंभ हुई है।
जो विस्थापित हुए हैं उनको भी हक मिले ऐसा प्रयास संगठन करता रहेगा। संगठन के समक्ष कई चुनौतियां है। शिक्षकों का आह्वान करते हुए उन्होंने कहा कि सरकार और यूनीवर्सिटी की अच्छी पहल को विद्यार्थियों के माध्यम से समाज के बीच ले जाना चाहिए। भारत को अमृत काल में जाने में शिक्षकों की महत्त्वपूर्ण भूमिका होगी। आज  हिंदू नव वर्ष और भारतीय परम्परा का मनाने का दिन है। 
एन डी टी एफ महासचिव प्रो वी एस नेगी ने कहा कि हमारा संगठन भारतीय संस्कृति और स्वाभिमान का वाहक रहा है।उन्होंने कहा कि देश दुनिया में कई नैरेटिव चलते रहते हैं। हिंदू धर्म के बारे में इस तरह के कई गलत नैरेटीव चलाए गए हैं। हिंदू धर्म ने हमेशा वसुधैव कुटुंबकम् को प्राथमिकता दी है, इसलिए आज तक प्रसांगिक रहा है। परिवार प्रबोधन और समरसता को लेकर भी संघ काम कर रहा है।
राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ के दिल्ली प्रांत कार्यवाह भारत भूषण ने इस अवसर पर कहा कि मोदी जी ने पांच प्रण को अपनाने की अपील की है। इसमें एक प्रण भारतीय संस्कृति और परम्परा को अपनाने और गुलामी की परम्परा को छोड़ने की आवश्कता का है। स्वतंत्रता से पूर्व जो आघात हुए उनको ठीक किया जाना चाहिए। शिक्षा और न्याय व्यवस्था को पुन देखने की जरुरत है। अपना दृष्टिकोण बदलने की आवश्कता है। चोल वंश और सुहेल देव के योगदान को भी सामने लाने की जरूरत है। दिल्ली के हिन्दू इतिहास को भी सामने लाया जाए। अमृतकाल स्वाभिमान की यात्रा है। इस कार्यक्रम में दिल्ली विश्वविद्यालय के साउथ कैंपस के निदेशक प्रो श्रीप्रकाश सिंह, अनेक प्रोफेसर सहित कई कॉलेजों के प्रिंसीपल और बडी संख्या में शिक्षकों ने हिस्सेदारी कीI दिल्ली विश्वविद्यालय के कार्यकारी एवं विद्वत परिषद के चुनावों में एडीटीएफ के सभी प्रत्याशियों की विजय पर भी समस्त शिक्षकों का आभार एवं बधाई भी दी गयीI

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