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63 वर्ष की उम्र में पाया बाल मन को पढ़ने का हुनर

नारनौल निवासी सुरेश कुमार यादव ने हरियाणा केंद्रीय विश्वविद्यालय से पूर्ण किया डिप्लोमा पाठ्यक्रम

-नारनौल निवासी सुरेश कुमार यादव ने हरियाणा केंद्रीय विश्वविद्यालय से पूर्ण किया डिप्लोमा पाठ्यक्रम

अक्सर यह कहा जाता है कि पढ़ने-लिखने की कोई उम्र नहीं होती। जब जागो तभी सवेरा। कुछ ऐसा ही कारनामा किया है नारनौल के निवासी सुरेश कुमार यादव ने। उन्होंने 63 वर्ष की उम्र में पोस्ट ग्रेजुएट डिप्लोमा इन चाइल्ड गाइडेंस एंड काउंसलिंग की पढ़ाई पूर्ण की है और यह संभव हुआ है हरियाणा केंद्रीय विश्वविद्यालय (हकेवि), महेंद्रगढ़ के माध्यम से। विश्वविद्यालय के मनोविज्ञान विभाग में भारतीय पुनर्वास परिषद से मान्यता प्राप्त इस डिप्लोमा पाठ्यक्रम सुरेश कुमार यादव ने प्रथम श्रेणी में उत्तीर्ण कर साबित किया है कि पढ़ने की कोई उम्र नहीं होती। उन्होंने अपनी इस सफलता का श्रेय प्रमुख रूप से विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. टंकेश्वर कुमार व मनोविज्ञान विभाग के शिक्षकों को दिया।

सुरेश कुमार यादव कहते हैं कि पहले सरकारी नौकरी और पत्रकारिता के क्षेत्र में लंबे समय तक सक्रिय रहने के बाद एक बार फिर से हरियाणा केंद्रीय विश्वविद्यालय ने उन्हें पढ़ने का वह अवसर प्रदान किया, जिसके माध्यम से अब वे बाल मन में उपजने वाली विभिन्न समस्याओं के निदान हेतु सलाहकार के रूप में प्रशिक्षित हो पाए हैं। उन्होंने कहा कि जहां तक मेरी जानकारी है वे हरियाणा केंद्रीय विश्वविद्यालय के सबसे उम्रदराज छात्र रहे हैं। सुरेश बताते हैं कि पढ़ाई की यह ललक उनके मन में सदैव रही है और इस डिप्लोमा से पूर्व वे बी.ए. ऑनर्स, प्रभाकर, बी.एड., एम.ए. अंग्रेजी व हिन्दी, एम.कॉम., डिप्लोमा इन जर्नलिज्म की भी पढ़ाई कर चुके हैं। उनके पास एक शिक्षक के रूप में काम करने का लगभग 35 साल का लंबा अनुभव है और अब वे बच्चों के विकास के विभिन्न आयाम, डिप्रेशन, मानसिक स्वास्थ्य, ए.डी.एच.डी., एंग्जाइटी, एडीक्सन, जीवन मूल्य, डिस्आर्डर व डिसेबिलिटी आदि  का ज्ञान अर्जित कर इस क्षेत्र में एक प्रशिक्षित सलाहकार बने हैं। उन्होंने अपनी इस उपलब्धि का श्रेय विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. टंकेश्वर कुमार, मनोविज्ञान विभाग के शिक्षक प्रो. विश्वानंद यादव व प्रो. पायल चंदेल को देते हुए कहा कि सफर अभी पूर्ण नहीं हुआ और पढ़ने का यह प्रयास ताउम्र जारी रहेगा। विभाग की विभागाध्यक्ष प्रो.पायल चंदेल व प्रो. वीएन यादव ने भी अपने छात्र सुरेश कुमार को शुभकामना देते हुए कहा कि वे उन लोगों के लिए उदारहण है जो उम्र के फेर में पड़कर पढ़ने लिखने से हिचकते हैं।  

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