Institutional Activities

विश्वविद्यालय ज्ञान अर्जन का केंद्र प्रो. टंकेश्वर कुमार

-हरियाणा केंद्रीय विश्वविद्यालय में दो दिवसीय दीक्षारम्भ कार्यक्रम की हुई शुरूआत

महेंद्रगढ़  : हरियाणा केंद्रीय विश्वविद्यालय (हकेवि), महेंद्रगढ़ में शैक्षणिक सत्र 2021-22 के अंतर्गत दाखिला लेने वाले विद्यार्थियों के लिए सोमवार से दो दिवसीय दीक्षारम्भ कार्यक्रम की शुरूआत हुई। विश्वविद्यालय के छात्र कल्याण अधिष्ठाता कार्यालय के द्वारा आयोजित इस कार्यक्रम के पहले दिन विद्यार्थियों को संबोधित करते हुए विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. टंकेश्वर कुमार ने कहा कि विश्वविद्यालय ज्ञान अर्जन का केंद्र है। उन्होंने विद्यार्थियों को पढ़ाई के साथ-साथ अपने व्यक्तित्व के विकास के लिए विश्वविद्यालय में उपलब्ध संसाधनों के अधिकतम उपयोग के लिए प्रेरित किया। कार्यक्रम में विद्यार्थियों के समक्ष विशेषज्ञ वक्ता के रूप में राजस्थान विश्वविद्यालय, जयपुर के पूर्व कुलपति व अखिल भारतीय शैक्षणिक संघ के अध्यक्ष प्रो. जे.पी. सिंघल ने विद्यार्थियों का मार्गदर्शन किया। 
विश्वविद्यालय के छात्र कल्याण अधिष्ठाता प्रो. दिनेश गुप्ता ने ऑनलाइन माध्यम से आयोजित इस कार्यक्रम में विद्यार्थियों को विश्वविद्यालय के संबंध में विस्तृत प्रस्तुतिकरण दिया, जिसमें विश्वविद्यालय में उपलब्ध विभिन्न सुविधाओं, संसाधनों व विद्यार्थी हितैषी प्रयासों का विशेष रूप से उल्लेख किया। कुलपति ने विद्यार्थियों को संबोधित करते हुए कहा कि कोरोना संकट का असर शिक्षण व्यवस्था पर भी पड़ा है। बावजूद इसके हम विद्यार्थियों की शिक्षा सुचारू रूप से जारी रखने की दिशा में संकल्पबद्ध होकर कार्य कर रहे हैं। कुलपति ने कहा कि विद्यार्थी केवलमात्र डिग्री हासिल करने का उद्देश्य लेकर विश्वविद्यालय न आएं बल्कि वे यहां उपलब्ध संसाधनों व ज्ञान को अर्जित कर श्रेष्ठता व सर्वांगीण विकास के लक्ष्य को प्राप्त करें। कुलपति ने इस अवसर पर विभिन्न उदाहरणों के माध्यम से समस्याओं को जानने-समझने और उनके समाधान खोजने के लिए सदैव तत्पर रहने की प्रेरणा विद्यार्थियों को दी। उन्होंने कहा कि शिक्षण संस्थान डिग्री के साथ-साथ विद्यार्थियों में नैतिक मूल्यों के विकास में भी मददगार होते हैं। इस दिशा में हरियाणा केंद्रीय विश्वविद्यालय भी अनवरत प्रयासरत है। उन्होंने विद्यार्थियों को ज्ञान अर्जित कर आत्मनिर्भर बनने व दूसरों को रोजगार प्रदान करने योग्य बनने के लिए प्रेरित किया। 
इसी क्रम में विशेषज्ञ वक्ता प्रो. जे.पी सिंघल ने भारतीय पुरातन व्यवस्था व आधुनिक समय में गुरू-शिष्य परम्परा से जुड़े विभिन्न उदाहरणों व प्रसंगों के माध्यम से शिक्षक, शिक्षा व ज्ञान के महत्त्व से अवगत कराया। उन्होंने कहा कि शिक्षा का उद्देश्य केवल जीवन स्तर को बेहतर बनाना ही नहीं है बल्कि विद्यार्थियों को श्रेष्ठ बनने के लिए प्रयास करना चाहिए। उन्होंने शिक्षा के प्रमुख लक्ष्य का उल्लेख करते हुए कहा कि ज्ञान प्राप्ति का लाभ तभी संभव है जब योग्य मानव का निर्माण हो। मौजूदा समय की चुनौतियों का उल्लेख करते हुए उन्होंने चुनौती को अवसर में तबदील करने के लिए प्रेरित किया और कहा कि इसी मंत्र के सहारे विद्यार्थी अपना, समाज का व देश-दुनिया की बेहतरी में योगदान दे सकते हैं। इससे पूर्व विश्वविद्यालय की कुलसचिव प्रो. सारिका शर्मा ने विद्यार्थियों का परिचय कुलपति से कराया। कार्यक्रम के संचालन व आयोजन में शिक्षा पीठ की सहायक आचार्य डॉ. रेनु यादव, वित्त अधिकारी डॉ. आनंद शर्मा, डॉ. किरण, आलेख एस. नायक, अजय कुमार व सुनील अग्रवाल ने महत्त्वपूर्ण योगदान दिया।

Click Here for More Institutional Activities