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स्थाई समाधान से कम कुछ भी स्वीकार नहीं: डूटा

-दिल्ली सरकार द्वारा वित्त पोषित 12 कॉलेजों को लेकर अब आर-पार की लड़ाई के लिए तैयार डूटा  
-तीन दिन में ऑनलाइन पेटीशन पर 6000 से शिक्षकों ने किए समर्थन के हस्ताक्षर  
-शिक्षा व शिक्षक विरोधी दिल्ली सरकार के शिक्षा मॉडल को किया सिरे से खारिज

नई दिल्ली। दिल्ली विश्वविद्यालय से सम्बद्ध दिल्ली सरकार द्वारा वित्त पोषित 12 कॉलेजों के हजारों शिक्षकों व कर्मचारियों के समक्ष निरंतर बने हुए आर्थिक संकट के निदान हेतु अब दिल्ली विश्वविद्यालय शिक्षक संघ (DUTA) ने आर-पार की लड़ाई की घोषणा कर दी हैं। DUTA अध्यक्ष प्रो. अजय कुमार भागी ने डूटा कार्यकारिणी के साथ मिलकर घोषणा की है कि अब इस समस्या के स्थाई समाधान से कम कुछ भी स्वीकार्य नहीं होगा।

        DUTA डूटा अध्यक्ष प्रो. अजय कुमार भागी ने कहा है कि कि दिल्ली सरकार के शिक्षा के मॉडल की पोल खुल गई है और इस शिक्षक व शिक्षा विरोधी मॉडल को हम सिरे से खारिज करते हैं ऐसी शिक्षा प्रणाली की हमें कोई आवश्यकता नहीं है जोकि संवैधानिक हितों की विरूद्ध हो। डूटा ने ऑनलाइन पेटीशन के माध्यम से अब दिल्ली के उपराज्यपाल से गुहार लगाई है कि वे इस मामले में हस्तक्षेप कर समाधान सुनिश्चित करें और हजारों शिक्षकों, कर्मचारियों व उनके परिवारजनों के साथ न्याय करें। 
              यहां बता दे कि DUTA की ओर से ऑनलाइन पेटीशन अभियान के अंतर्गत बीते तीन दिनों में छह हजार से अधिक शिक्षकों ने इस पेटिशन संबंधित दस्तावेज पर हस्ताक्षर किए हैं। डूटा का कहना है कि कोरोना संकट के बीच जिन शिक्षकों ने विद्यार्थियों की पढ़ाई को निरंतर जारी रखा, ऑनलाइन कक्षाएं आयोजित की और शिक्षण, प्रशक्षिण के लिए आवश्यक गतिविधियों के आयोजन में सहयोग किया, दिल्ली सरकार के लापरवाह रवैये, पूर्वाग्रह से ग्रसित सोच के परिणामस्वरूप, ऐसे एक हजार से अधिक शिक्षक पिछले दो सालों से वेतन को लेकर परेशान है। दिल्ली सरकार द्वारा वित्त पोषित कॉलेजों में शिक्षकों व कर्मचारियों को दो से छह माह के विलंब से वेतन जारी किया जा रहा है जबकि केंद्र सरकार से अनुदान प्राप्त दिल्ली विश्वविद्यालय के अन्य सभी कॉलेजों में वेतन समय पर मिल रहा है, अब इसे विडंबना ही कहा जाएगा कि एक ही विश्वविद्यालय के 12 कॉलेजों में वेतन को लेकर इस तरह का व्यवहार अनुदान प्रदान करने वाली दिल्ली की सरकार कर रही है। न सिर्फ शिक्षकों बल्कि इन कॉलेजों के शिक्षणेत्तर कर्मचारियों व संविदा कर्मियों के समक्ष भी दिल्ली सरकार के इस रवैये के चलते आर्थिक संकट खड़ा हो गया है और उनके लिए अपने दैनिक खर्चों की पूर्ति भी मुश्किल हो चली हैं।   


                          डूटा के अध्यक्ष प्रो.अजय कुमार भागी ने बताया कि न केवल वेतन बल्कि इन शिक्षकों व कर्मचारियों को मिलने वाले अन्य भत्ते, मेडिकल बिलों का भुगतान और सातवें वेतन आयोग व पदोन्निति के बाद मिलने वाला आर्थिक लाभ से भी वंचित रखा जा रहा है जोकि अस्वीकार्य है और ऐसा करके दिल्ली सरकार इन शिक्षकों व कर्मचारियों व उनके परिवारों के साथ आमानवीय व्यवहार कर रही है। प्रो.भागी ने बताया कि वित्तीय वर्ष 2020-21 और 2021-22 में दिल्ली सरकार द्वारा लगाए गए अतार्किक अनुदान कटौती और आवश्यक अनुदान प्रदान न किए जाने के परिणामस्वरूप विभिन्न कॉलेजों, महाविद्यालयों में 4 से 34 करोड़ रुपये का घाटा हुआ है और इसलिए वेतन और अन्य भत्ते अभी तक नहीं मिल पा रहे हैं। अनुदान में कटौती से अब इन कॉलेजों के दैनादिन सामान्य रखरखाव और विकास संबंधित परियोजनाएं भी प्रभावित हो है जिसका सीधा असर यहां अध्ययनरत विद्यार्थियों के भविष्य पर होगा। प्रो. भागी ने कहा कि बीते दो सालों में दिल्ली के मुख्यमंत्री और शिक्षा मंत्री को कई बाद डूटा, दिल्ली विश्वविद्यालय कर्मचारी संघ व अन्य संगठनों के बैनर तले इस समस्या से अवगत कराया जा रहा है बावजूद स्थिति जस की तस बनी हुई और अब आंदोलन ही एकमात्र उपाय नजर आ रहा हैं। 


                        अध्यक्ष ने कहा कि इस विषय को लेकर अब आर-पार की लड़ाई के लिए हम तैयार है और बीते तीन दिनों में इन बारह कॉलेजों के प्रति सरकार के रवैये के विरूद्ध ऑनलाइन माध्यम से एक पेटीशन पर हुए रिकॉर्ड हस्ताक्षरों ने स्पष्ट कर दिया है कि समूचा दिल्ली विश्वविद्यालय डूटा के साथ खड़ा है।
       डूटा अध्यक्ष ने कहा कि इन कॉलेजों के शिक्षकों, कर्मचारियों व उनके परिवारजनों के मानवधिकारों की रक्षा हेतु अब स्थाई समाधान तक लड़ाई जारी रहेगी। प्रोफेसर भागी ने कहा कि ऑनलाइन पेटीशन को मात्र तीन दिनों में 6000 से भी अधिक समर्थकों के हस्ताक्षर और शेयर मिले। पेटीशन में  उपराज्यपाल से  गुहार लगाई गई है कि जल्द से जल्द वेतन जारी किया जाए और मामले को सुलझाया जाए। डूटा अध्यक्ष ने बताया कि शिक्षक संगठन डूटा अब आरपार की लड़ाई का मन बना चुकी है। वह दिल्ली सरकार के इस शिक्षा व शिक्षक विरोधी मॉडल पर किसी भी खुले मंच पर दिल्ली की सरकार से चर्चा करने को तैयार है।

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