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सरकार और समाज की साझेदारी से होगा जल संरक्षण: डॉ. राजेंद्र सिंह

:- कुलपति बोले राष्ट्रीय जल सम्मेलन एक नई शुरूआत, विश्वविद्यालय इस अभियान में निभाएगा सक्रिय भूमिका

 

हरियाणा: मिशन महेंद्रगढ़ः अपना जल, स्वच्छ भारत मिशन, महेंद्रगढ़ के अंतर्गत इंडियन हिमालयन रिवर बेसिन काउंसिल, तरुण भारत संघ, जिला प्रशासन महेंद्रगढ़ व आईआईटीटीएम, पर्यटन मंत्रालय, भारत सरकार के साझा प्रयासों से हरियाणा केंद्रीय विश्वविद्यालय (हकेवि), महेंद्रगढ़ में आयोजित दो दिवसीय राष्ट्रीय जल सम्मेलन का रविवार को समापन हो गया। कार्यक्रम के समापन सत्र को संबोधित करते हुए जल पुरूष डॉ. राजेंद्र सिंह ने कहा कि सरकार और समाज की साझेदारी से जल संरक्षण की दिशा में आरम्भ हुआ सजल महेंद्रगढ़ अभियान अवश्य पूरा होगा। इस मौके पर विश्वविद्यालय कुलपति प्रो. टंकेश्वर कुमार ने आगे बढ़कर भरोसा दिलाया कि विश्वविद्यालय इस अभियान में सक्रिय भूमिका निभाएगा। उन्होंने इस अवसर पर जल प्रबंधन पर केंद्रित अध्ययन की सुविधा भी विश्वविद्यालय में शुरू करने की इच्छा व्यक्त की।

समापन सत्र की शुरूआत से पूर्व प्रातःकाल इस सम्मेलन में सम्मिलित तरूण भारत संघ, जिला प्रशासन व स्वयंसेवकों ने आईआईटीटीएम के श्री बाबू लाल यादव के नेतृत्व में नांगल मोहनपुर में जागरूकता अभियान चलाया और स्थानीय ग्रामीणों को जल संरक्षण की महत्ता और उसके लिए आवश्यक उपायों से अवगत कराया। समापन सत्र के आरंभ में श्री गोबिंद राम जी ने स्वच्छ भारत मिशन के तहत महेंद्रगढ़ जिले में जारी प्रयासों का उल्लेख किया।

कार्यक्रम को संबोधित करते हुए विश्वविद्यालय कुलपति प्रो. टंकेश्वर कुमार ने राष्ट्रीय जल सम्मेलन के समापन को एक नई शुरूआत बताया। उन्होंने कहा कि जलवायु परिवर्तन की चुनौती हम सभी के समक्ष उपलब्ध है और इसका निर्माण हम पानी व प्रकृति के संरक्षण के माध्यम से सहज ही कर सकते हैं। कुलपति ने इस प्रयास में सभी के योगदान को महत्त्वपूर्ण बताते हुए कहा कि हर व्यक्ति अपने आसपास उपस्थित स्थितियों में सुधार के लिए संकल्प कर लें तो बड़ें बदलाव लाए जा सकते हैं। कुलपति ने सबका साथ सबका विकास का उल्लेख करते हुए कहा कि सभी में न सिर्फ मानव जाति बल्कि पेड़-पौधे, पशु-पक्षी भी सम्मिलित हैं और उनके सुरक्षित जीवन के लिए पानी आवश्यक है।

इस मौके पर अटल भूजल योजना से जुड़ें डॉ. मुकिम अहमद ने म्हारा पाणी, म्हारी बात नामक प्रस्तुति के माध्यम से जारी विभिन्न प्रयासों से संबंधित प्रस्तुतिकरण दिया। डॉ. इंदिरा खुराना ने इस मौके पर युवा जल सम्मेलन के आयोजन का आग्रह किया जिसे जिला उपायुक्त ने मौके पर ही सहर्ष स्वीकार किया। समापन सत्र में सम्मिलित डॉ. ज्योति आभीर ने इस मौके पर युवा शक्ति का उल्लेख करते हुए कहा कि यदि परिवर्तन लाना है तो युवाओं को जोश और होश दोनों जरूरी हैं।

समापन सत्र में डॉ. राजेंद्र सिंह ने सीधे संवाद की अपनी चिर-परिचित शैली में प्रतिभागियों से सीधे संवाद किया और कहा कि इस अभियान को हर व्यक्ति मैं से आरंभ से करता है तो इसकी सफलता तय है। उन्होंने इस मौके पर जल नायक, जल योद्धा, जल प्रेमी, जल दूत और जल सेवक को भी परिभाषित करते हुए अपने-अपने स्तर पर, अपनी-अपनी योग्यताओं व क्षमताओं के अनुसार प्रतिभागियों को भूमिका निर्धारित कर आगे बढ़ने के लिए प्रेरित किया।

सम्मेलन के समापन सत्र में जिला उपायुक्त डॉ. जे.के. आभीर ने कहा कि जिसका मन इस अभियान से जुड़ता है वह इससे जुड़कर काम करें। उन्होंने कहा कि समस्या का समाधान तभी संभव है जबकि इसके बारे में सोचा जाए। प्रशासन का सहयोग आवश्यक है लेकिन केवल इसके भरोसे ही बैठे रहने से बेहतर है कि युवा आगे बढ़े और अपने स्तर पर संभव प्रयास करें। उन्होंने कहा कि शारीरिक श्रम से काम करना समाज की सेवा है और इस सेवा के लिए सदैव तत्पर रहें। जलवायु को बेहतर बनाना है तो हवा, पानी और पेड़ सभी का रक्षण व संरक्षण करना होगा। जिला उपायुक्त ने प्रतिभागियों से इस अभियान में जुड़कर सकारात्मक सोच के साथ आगे बढ़ने की अपील की। कार्यक्रम के अंत में डॉ. राजेंद्र सिंह की पुस्तक का विमोचन हुआ और इस मौके पर जिला प्रशासन ने विश्वविद्यालय परिसर हेतु एक हजार पौधे प्रदाने करने की भी घोषणा की।

इस अवसर पर विश्वविद्यालय की ओर से विश्वविद्यालय के शिक्षक, अधिकारी, विद्यार्थी, शोधार्थी, स्थानीय प्रशासन के अधिकारी भी उपस्थित रहे। 

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