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संविधान की आत्मा है इसकी उद्देशिका प्रो. टंकेश्वर कुमार

संविधान दिवस के अवसर पर कार्यक्रम आयोजित

 

हरियाणा: हरियाणा केंद्रीय विश्वविद्यालय (हकेंवि), महेंद्रगढ़ में संविधान दिवस के अवसर पर शुक्रवार को विशेषज्ञ व्याख्यान का आयोजन किया गया। इस अवसर पर विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. टंकेश्वर कुमार ने संविधान का महत्त्व बताते हुए इसकी उद्देशिका पर प्रकाश डाला। उन्होंने अपने संबोधन में संविधान की उद्देशिका को इसकी आत्मा बताया और विद्यार्थियों सहित सभी सहभागियों को संविधान में प्रदान किए गए अधिकारों के साथ-साथ कर्त्तव्यों के प्रति भी जागरूक रहने के लिए प्रेरित किया। विश्वविद्यालय की विधि पीठ में आयोजित कार्यक्रम की शुरूआत बाबा साहेब अम्बेडकर के चित्र पर पुष्प अर्पित कर हुई। इस अवसर पर विशेषज्ञ वक्ता के रूप में चौधरी देवीलाल विश्वविद्यालय, सिरसा के विधि विभाग के विभागाध्यक्ष प्रो. अशोक कुमार मक्कड़ व कुरूक्षेत्र विश्वविद्यालय, कुरूक्षेत्र के विधि विभाग में प्रो. सुशीला चौहान उपस्थित रहीं।     

विश्वविद्यालय कुलपति टंकेश्वर कुमार ने अपने संबोधन की शुरूआत संविधान की उद्देशिका के पाठ से की। उन्होंने कहा कि 26 नवंबर 1949 का दिन समूचे राष्ट्र के लिए महत्त्वपूर्ण है। उन्होंने अपने संबोधन में भारत की पुरातन सभ्यता व संस्कृति और उसमें समाहित विविधता का उल्लेख करते हुए कहा कि संविधान एक ऐसा माध्यम है जो इन विविधताओं के बीच समूचे राष्ट्र को एक सूत्र में बांधकर रखे हुए है। कुलपति ने अपने संबोधन में उद्देशिका का उल्लेख करते हुए इसके प्रचार-प्रसार हेतु विश्वविवद्यालय स्तर पर जारी प्रयासों से भी प्रतिभागियों को अवगत कराया। उन्होंने संविधान में वर्णित अधिकारों के साथ-साथ कर्त्तव्यों का भी उल्लेख किया और विद्यार्थियों व शोधार्थियों को इन कर्त्तव्यों के प्रति सजग रहने के लिए प्रेरित किया। विश्वविद्यालय के कुलसचिव प्रो. सुनील कुमार ने संविधान दिवस की महत्ता का उल्लेख करते हुए विधि विभाग द्वारा आयोजित कार्यक्रम को महत्त्वपूर्ण बताया। उन्होंने कहा कि अवश्य ही इसके माध्यम से विद्यार्थियों को भारतीय संविधान से जुड़े पक्षों को जानने में मदद मिलेगी। इससे पूर्व में विभाग की विभागाध्यक्ष डॉ. मोनिका मलिक ने कार्यक्रम की रूपरेखा व संविधान दिवस के आयोजन के महत्त्व से प्रतिभागियों को अवगत कराया। 

कार्यक्रम में विशेषज्ञ वक्ता प्रो. सुशीला चौहान ने अपने संबोधन में भारत की स्वतंत्रता के बाद संविधान के निर्माण को एक महत्त्वपूर्ण बदलाव बताया और कहा कि 26 नवंबर का दिन बेहद अहम है। उन्होंने कहा कि भारत का संविधान ही हमें स्वतंत्रता के आजादी जीने का अधिकार प्रदान करता है और ऐसे में इस अवसर को प्रदान करने वाले संविधान निर्माताओं को याद करने का भी यह महत्त्वपूर्ण अवसर है। प्रो. सुशीला चौहान ने बाबा साहेब भीमराव अम्बेडकर का उल्लेख करते हुए कहा कि भारत के संविधान निर्माण में उनकी भूमिका महत्त्वपूर्ण रही है और इसके लिए हम सभी उनके आभारी हैं। अन्य विशेषज्ञ वक्ता प्रो. अशोक कुमार मक्कड़ ने मौलिक अधिकारों व मौलिक कर्त्तव्यों के समांजस्य पर बल देत हुए विद्यार्थियों का आह्वान किया कि व अपने कर्त्तव्यों का पूरी जिम्मेदारी के साथ निर्वहन करें। उन्होंने संवैधानिक व सामाजिक नैतिकता पर विस्तार से अपनी बात रखी। कार्यक्रम के अंत में विधि पीठ  के अधिष्ठाता प्रो. राजेश कुमार मलिक ने धन्यवाद ज्ञापित किया। इस अवसर पर विभाग के शिक्षक डॉ. धर्मपाल पूनिया, डॉ. प्रदीप कुमार, डॉ. समीक्षा गोदारा, राकेश मीणा व डॉ. कुलवंत मलिक सहित भारी संख्या में विद्यार्थी, शोधार्थी उपस्थित रहे। 

 

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