नई दिल्ली। दिल्ली में 1 दिसंबर से नर्सरी दाखिले की शुरुआत हो रही है जो दिल्ली के लगभग 1700 मान्यता प्राप्त स्कूलों में नर्सरी केजी और प्रथम कक्षाओं में दाखिलों के लिए ऑन लाइन व आफ लाइन फार्म भरने शुरू हो जाएंगे। दिल्ली में मात्र 200 नामचीन स्कूल ही ऐसे हैं जहां पर दाखिले की मारामारी होती है जो आपको उनकी वेबसाइट पर आसानी से दिखाई भी देगा। दिल्ली के 1500 से अधिक स्कूल ऐसे हैं जहां पर दाखिले ही इन स्कूलों में दाखिले का प्रोसेस पूरा होने के बाद दाखिले शुरू होते हैं।
ज्ञात हो कि कुछ वर्ष पहले जब दिल्ली सरकार ने 31 मार्च तक दाखिला प्रक्रिया पूरा करने का आदेश दिया था तो उस समय दिल्ली स्टेट पब्लिक स्कूल मैनेजमेंट एसोसिएशन के एक सदस्य स्कूल ने दिल्ली हाईकोर्ट में गुहार लगाई थी कि अनेक स्कूलों में तो दाखिले 1 अप्रैल से शुरू होते हैं जब कुछ नामचीन स्कूलों में अभिभावक अपने बच्चों को दाखिला दिलाने में असफल हो जाते हैं तो उस समय बाकी स्कूलों में अभिभावक दाखिले के लिए प्रयास करते हैं तब सारी स्थिति को ध्यान में रखते हुए दिल्ली उच्च न्यायालय ने ऐसे स्कूलों को 31 जुलाई तक दाखिला प्रक्रिया पूरी करने के लिए आदेश दिया था।
दिल्ली स्टेट पब्लिक स्कूल एसोसिएशन के अध्यक्ष आरसी जैन ने सभी अभिभावकों से यह अपील की है कि कि सबसे पहले अपने घर के पास के स्कूलों में ही बच्चे को दाखिले की प्राथमिकता दें। और साथ ही जिनका दाखला 31मार्च तक नहीं हो पाता है उनके लिए 1 अप्रैल से 31 जुलाई तक दाखिले का प्रोसेस चलता रहेगा। यह वह स्कूल है जिनमें किसी क्राइटेरिया की जरूरत नहीं होती है और समय रहते तुरंत दाखिला मिल जाता है। कुछ नामचीन लोगों ने दाखिले की प्रक्रिया को इतना जटिल बनाने का प्रयास किया है कि मानो दिल्ली में नर्सरी दाखिला लेना एक बहुत बड़ी समस्या है जबकि ऐसा नहीं है । दिल्ली के अनेक नामचीन स्कूलों ने अभी कुछ समय पहले भी दिल्ली हाईकोर्ट में गुहार लगाई थी कि हमारे यहां तो जनरल कैटेगरी की पूरी सीट नहीं भरी जा सकी तो फिर हम ईडब्ल्यूएस के शिक्षा निदेशालय द्वारा आवंटित सभी बच्चों को दाखिला नहीं दे सकते। दिल्ली स्टेट पब्लिक स्कूल मैनेजमेंट एसोसिएशन के अध्यक्ष आर सी जैन ने दिल्ली के सभी अभिभावकों को यह आश्वासन दिया है कि दिल्ली में कोई भी बच्चा नर्सरी, केजी, फर्स्ट में दाखिले से वंचित नहीं रह सकता । क्योंकि दिल्ली के अधिकतर स्कूल आज भी बच्चों की घटती संख्या से जूझ रहे हैं जो उनकी आर्थिक स्थिति को भी काफी हद तक प्रभावित करता है।
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