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भारतीय परिप्रेक्ष्य में महिला विमर्श विषय पर व्याख्यान आयोजित

:- दिल्ली विश्वविद्यालय, नॉन कोलिजिएट प्रो. गीता भट्ट ने किया संबोधित

 

हरियाणा: समाज के विकास व उत्थान में महिलाओं की भूमिका पुरातन काल से ही महत्त्वपूर्ण रही है। महिलाओं ने अपने उल्लेखनीय योगदान के परिणाम स्वरूप सदैव मानव जाति के कल्याण के लिए कार्य किया है लेकिन रह-रहकर समाज में महिलाओं को अपनी उपस्थिति हेतु निरंतर स्वयं को साबित करना होता है। महिलाएं मानव जाति के आरंभ से ही महत्त्वपूर्ण भूमिका का निर्वहन करती रही हैं और उन्हें किसी भी स्तर पर खुद को कमतर नहीं आंकना चाहिए। यह विचार हरियाणा केंद्रीय विश्वविद्यालय, महेंद्रगढ़ एवं हरियाणा केंद्रीय विश्वविद्यालय शैक्षिक संघ द्वारा शुक्रवार को भारतीय परिप्रेक्ष्य में महिला विमर्श विषय पर आयोजित संगोष्ठी को संबोधित करते हुए दिल्ली विश्वविद्यालय, नॉन कोलिजिएट प्रो. गीता भट्ट विशेषज्ञ वक्ता के रूप में व्यक्त किए।

इस कार्यक्रम की अध्यक्षता भौतिकी एवं खगोल भौतिकी विभाग की प्रो. सुनीता श्रीवास्तव ने की जबकि शिक्षा पीठ की अधिष्ठाता प्रो. सारिका शर्मा कार्यक्रम में विशिष्ट अतिथि के रूप में उपस्थित रहीं।

संघ की विश्वविद्यालय इकाई के अध्यक्ष डॉ. मनोज कुमार सिंह ने बताया कि कार्यक्रम का उद्देश्य महिलाओं की भूमिका और उसके महत्त्व से विश्वविद्यालय शिक्षकों, विद्यार्थियों व शोधार्थियों को अवगत कराना था। कार्यक्रम में विशेषज्ञ वक्ता व मुख्य अतिथि प्रो. गीता भट्ट ने ऋग्वेद, भारतीय व पाश्चात् संस्कृति में उपलब्ध विभिन्न उदाहरणों के माध्यम से महिलाओं और उनकी समाज, देश व मानव जाति के कल्याण में उनकी निर्णायक भूमिका का उल्लेख किया। इस अवसर पर कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रहीं प्रो. सुनीता श्रीवास्तव ने कहा कि महिलाएं किसी भी स्तर पर पुरुषों से कम नहीं हैं। उन्होंने कहा कि अपनी क्षमताओं और योग्ताओं का प्रदर्शन कर महिलाओं ने सदैव खुद को साबित किया है। इसी क्रम में कार्यक्रम की विशिष्ट अतिथि प्रो. सारिका शर्मा ने भारतीय समाज में महिलाओं की भूमिका पर प्रकाश डाला। उन्होंने इस अवसर पर परिवार संबंधी निर्णयों में महिलाओं की भागीदारी पर भी विस्तार से चर्चा की और परिस्थितियों में बदलाव के लिए विशेष प्रयास करने पर जोर दिया। इस कार्यक्रम विश्वविद्यालय के शिक्षक, विद्यार्थी व शोधार्थी उपस्थित रहे।

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