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कौन ठगवा नगरिया लूटल हो’ से जीवंत हो उठीं मालती जोशी

90वीं वर्षगांठ पर केंद्रित भावांजलि कार्यक्रम का आयोजन दिल्ली स्थित इंडिया इंटरनेशनल सेंटर के कमलादेवी ऑडिटोरियम में


नई दिल्ली। प्रख्यात साहित्यकार पद्मश्री मालती जोशी का निधन 15 मई, 2024 को हुआ। जब वह बीमार हुईं, तो उन्होंने अपने दोनों पुत्रों ऋषिकेश जोशी और डॉ. सच्चिदानंद जोशी तथा पुत्रवधुओं अर्चना और मालविका जोशी से इच्छा जताई थी कि उनके नहीं रहने पर भी उनका 90वां जन्मदिन उत्साह के साथ मनाएं। उनकी इच्छा को शिरोधार्य करते हुए उनके परिवारजन ने उनकी 90वीं वर्षगांठ पर केंद्रित भावांजलि कार्यक्रम का आयोजन दिल्ली स्थित इंडिया इंटरनेशनल सेंटर के कमलादेवी ऑडिटोरियम में किया। कार्यक्रम में मालती जोशी जी के साहित्य और उनके व्यक्तित्व से प्रेम करने वाले इष्ट मित्र, प्रशंसक और परिजन बड़ी संख्या में उपस्थित थे। 
          कार्यक्रम के प्रारंभ में सुप्रसिद्ध शास्त्रीय गायिका सुश्री कलापिनी कोमकली द्वारा मालती जी के कई प्रिय निर्गुण भजनों की प्रस्तुति की गई। इनमें ‘कौन ठगवा नगरिया लूटल हो’ और ‘उड़ जाएगा हंस अकेला’ आदि भजन शामिल थे। इन भजनों के साथ मालती जी के जीवन से जुड़ी रोचक बातें अनुराग पुनेठा द्वारा साझा की गईं।
          इसके बाद कुछ प्रमुख हस्तियों ने मालती जी के सानिध्य में गुजारे गए पलों को साझा करते हुए उन्हें भावांजलि प्रस्तुत की। इनमें सुप्रसिद्ध नृत्य विदुषी पद्मविभूषण डॉ. सोनल मानसिंह, सुप्रसिद्ध गीतकार प्रसून जोशी, नोबल पुरस्कार विजेता कैलाश सत्यार्थी, सुप्रसिद्ध कवि अशोक चक्रधर, साहित्य अकादेमी की उपाध्यक्ष प्रो. कुमुद शर्मा, वरिष्ठ पत्रकार एवं चिंतक राम बहादुर राय प्रमुख थे। पुत्रवधू मालविका जोशी ने मालती जोशी की एक कविता का वाचन किया। पौत्र दुष्यंत जोशी ने मालती जी के जीवन पर केंद्रित प्रदर्शनी का संयोजन किया। कार्यक्रम का संचालन डॉ. श्रुति नागपाल ने किया। कार्यक्रम में प्रसिद्ध चित्रकार कल्याण विश्वनाथन द्वारा मालती जी का बनाया पोट्रेट भी आकर्षण का केंद्र रहा।
        कार्यक्रम की एक विशेषता इसकी आत्मीयता और सरलता थी। सभी के मन में भाव था कि मालती जी, जिन्हें सब लाड़ से ‘आई’ कहते थे, के स्मरण के माध्यम से अपनी मां को एक बार फिर पा लिया। अशोक चक्रधर जी ने मालती जी द्वारा लिखी अंतिम कविता सुनाई, तो प्रसून जोशी ने मां पर लिखी अपनी कविता सुनाई। सोनल जी ने भी मां पर लिखी गुजराती कविता सुनाई। कार्यक्रम के अंत में मालती जी के छोटे बेटे सच्चिदानंद जोशी ने आभार प्रदर्शन किया और अपनी प्रसिद्ध कविता “मां” सुनाई।
कार्यक्रम का एक और आकर्षण था मालती जी को बेहद पसंद इंदौर की प्रसिद्ध बालूशाही का आगंतुकों को वितरण।

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