
रुड़की, 20 दिसंबर 2021: आईआईटी रूड़की ने स्कूली बच्चों को विज्ञान और प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में करियर बनाने को प्रोत्सहित करने के लिए 18 और 19 दिसंबर 2021 को दो दिवसीय कार्यशाला का आयोजन किया। भारत की स्वतंत्रता की 75वीं सालगिरह पर जैव विज्ञान और बायोमेडिकल इंजीनियरिंग विभाग, आईआईटी रूड़की ने विज्ञान प्रदर्शनी के तत्वावधान में कार्यशाला का आयोजन किया है।
कार्यशाला में मोतीलाल नेहरू स्कूल ऑफ स्पोर्ट्स, राय, हरियाणा के कुल 50 विद्यार्थियों समेत दो शिक्षकों ने भाग लिए। बायोसाइंसेज और बायोइंजीनियरिंग विभाग के प्रमुख के स्वागत संबोधन से कार्यशाला की शुरुआत हुई। इसके बाद संस्थान के शिक्षकों के व्याख्यान हुए और फिर परिसर में उपस्थित आईआईटी के विद्यार्थियों के साथ बच्चों ने बात की। इसके उपरांत प्रो. शैली तोमर और स्कूल के शिक्षकों के साथ बच्चे टेक्नोलॉजी इनक्यूबेशन एंड आंटरप्रेन्यरशिप डेवलपमेंट सोसाइटी, बायो-इनक्यूबेटर, टिंकरिंग लैब और विभागीय लैब देखने गए। उन्हें विभिन्न विभागों के लैब में सिखाई जाने वाली प्रौद्योगिकियों के बारे में प्रो. प्रवीन्द्र कुमार, प्रो. शैली तोमर, प्रो. जितिन सिंगला, प्रो. प्रणिता पी. सारंगी, प्रो. उदय सिंह, प्रो. सुधीर के. तिवारी, प्रो. सुदेब दासगुप्ता, प्रो. कृष्ण मोहन पोलुरी, प्रो. हर्ष चौहान, प्रो. पार्थ रॉय और रिसर्च स्कॉलर जय कृष्ण ने रोचक जानकारियों दी।
कार्यक्रम की अहमियत बताते हुए बायोसाइंसेज और बायोमेडिकल इंजीनियरिंग विभाग के प्रमुख प्रो. प्रवींद्र कुमार ने स्कूली बच्चों को आईआईटी रूड़की के 175 साल पुराने इतिहास की जानकारी दी और बताया कि विज्ञान और प्रौद्योगिकी आपस में जुड़े विषय हैं और भविष्य में हमारे देश की प्रगति और मानव कल्याण वर्तमान पीढ़ी के हाथ में है।
प्रो. मनीष श्रीखंडे, डीन, प्रायोजित शोध एवं औद्योगिक सलाह आईआईटी रूड़की ने कहा, “बचपन में ही विज्ञान और प्रौद्योगिकी के प्रति लगाव पैदा करने से इस क्षेत्र में बड़े इनोवेटिव थिंकर पैदा होंगे जो आज के आधुनिक दौर में देश की प्रगति के लिए सबसे ज़रूरी है। बच्चों को विज्ञान और प्रौद्योगिकी की अद्भुत दुनिया जानने और इस क्षेत्र में करियर बनाने का दृष्टिकोण विकसित करने में इस तरह की कार्यशालाएं अहम् भूमिका निभाती हैं।’’
कार्यशाला का अपना अनुभव बताते हुए 10वीं कक्षा के छात्र प्रणव धीमान ने कहा कि यह कार्यशाला निश्चित रूप से 11वीं कक्षा के विभिन्न विषयों को सही से पढ़ने में मदद करेगी। 10वीं कक्षा की ही एक छात्रा सिमरीन कार्यशाला के शोधार्थियों और शिक्षकों की कड़ी मेहनत और लगन देख कर बहुत भावुक हो गई। उसने कहा कि वह जी-जान से आईआईटी की छात्रा बनने की कोशिश करेगी। एमएनएसएस राय की एक अन्य छात्रा निशा ‘टीआईडीईएस’ के इंटरैक्टिव सेशन के बाद बहुत उत्साहित दिखी और कहा कि वह खुद का स्टार्टअप शुरू करेगी और अपनी कंपनी में आईआईटी के विद्यार्थियों को नियुक्त करेगी।
यह कार्यशाला वैज्ञानिक सामाजिक उत्तरदायित्व (एसएसआर) पहल का एक हिस्सा है। एसएसआर का विकास विज्ञान और इंजीनियरिंग अनुसंधान बोर्ड (एसईआरबी) और विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग (डीएसटी) ने आईआईटी रूड़की के सहयोग से किया है। वैज्ञानिक सामाजिक उत्तरदायित्व (एसएसआर) पहल का उद्देश्य शोध का लाभ प्रत्यक्ष लाभार्थियों से परे भी, खास तौर से स्कूलों और कॉलेजों तक पहुंचाना है।
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