नई दिल्ली। इंदिरा गांधी राष्ट्रीय कला केंद्र (IGNCA) के कलानिधि विभाग द्वारा आयोजित प्रो. नामवर सिंह स्मारक व्याख्यान श्रृंखला की सातवीं कड़ी सोमवार को समवेत सभागार में सफलता के साथ सम्पन्न हुई। इस वर्ष का विषय था “एक सार्वजनिक बुद्धिजीवी के रूप में नामवर सिंह”, जिसमें हिंदी साहित्य, आलोचना और संस्कृति के क्षेत्र में उनके बहुआयामी योगदान पर गंभीर चर्चा हुई।
कार्यक्रम के मुख्य वक्ता डॉ. विभूति नारायण राय (पूर्व कुलपति, महात्मा गांधी अंतरराष्ट्रीय हिंदी विश्वविद्यालय, वर्धा) ने नामवर सिंह को एक प्रखर और प्रतिबद्ध सार्वजनिक बुद्धिजीवी के रूप में रेखांकित किया। उन्होंने सुझाव दिया कि प्रो. सिंह के विभिन्न संस्थानों में दिए गए व्याख्यानों का व्यवस्थित संकलन और संरक्षण किया जाना चाहिए, ताकि उनका बौद्धिक उत्तराधिकार सुरक्षित रह सके।
कार्यक्रम की अध्यक्षता श्री रामबहादुर राय (अध्यक्ष, IGNCA न्यास) ने की। अपने वक्तव्य में उन्होंने यह स्मरण कराया कि अगला वर्ष प्रो. नामवर सिंह का जन्म शताब्दी वर्ष होगा, जिसे उल्लेखनीय आयोजन के रूप में मनाना चाहिए, ताकि उनकी विचारधारा और साहित्यिक दृष्टि को भावी पीढ़ियों तक पहुँचाया जा सके।
प्रो. रमेश चंद्र गौड़ (डीन, प्रशासन एवं विभागाध्यक्ष, कलानिधि) ने कार्यक्रम की शुरुआत में स्वागत भाषण देते हुए मंचासीन अतिथियों का परिचय कराया और अंत में धन्यवाद ज्ञापित किया। उन्होंने IGNCA द्वारा ज्ञान परंपरा के संरक्षण और निजी संग्रहों के डिजिटलीकरण के कार्यों की भी जानकारी साझा की।
इस अवसर पर 'नामवर: विचार कोश' नामक पुस्तक का लोकार्पण भी हुआ, जिसे श्री महेन्द्र राजा जैन ने रचा और श्री विजय प्रकाश सिंह ने संपादित किया है। यह पुस्तक प्रो. नामवर सिंह के विचार-वैभव को सहेजने का एक महत्वपूर्ण प्रयास है।
कार्यक्रम में साहित्य, संस्कृति और आलोचना जगत से जुड़े कई विद्वानों, शोधार्थियों और साहित्य-प्रेमियों ने भाग लिया। अंत में कलानिधि विभाग की ओर से सभी वक्ताओं और प्रतिभागियों का सादर आभार व्यक्त किया गया।
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