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हिंदी सिनेमा का जादू अब भी निराला के गीतों में ही बसता है : डा.सागर

* आजादी की 75 वीं वर्षगांठ के अवसर पर श्री अरविंदो कालेज हिंदी विभाग ने वसंत पंचमी व निराला जयंती पर कार्यक्रम किया ।

 

नई दिल्ली।  भारत की स्वतंत्रता के 75 वें वर्ष के उपलक्ष्य में शनिवार 5 फरवरी को  वसंत पंचमी के पावन पर्व पर  व सूर्यकांत त्रिपाठी निराला जी की जयंती के अवसर पर श्री अरबिंदो कॉलेज की साहित्यिक संस्था नवोन्मेष साहित्य सभा ने  " हिंदी सिनेमा में गीत : वर्तमान और भविष्य  " विषय पर आभासी मंच के माध्यम से एक दिवसीय वेबिनार का आयोजन किया गया । जिसमें मुख्य वक्ता के तौर पर बम्बई में काबा जैसे गीतों के मशहूर गीतकार डॉ .सागर ने व्याख्यान प्रस्तुत किया । 
          व्याख्यान प्रस्तुत होने से पूर्व उनके प्रसिद्ध गानों का एक संक्षिप्त एलबम फेसबुक ,यूट्यूब तथा आभासी मंच से लाइव टेलिकास्ट किया जिसमें देश के कोने - कोने से युवा वर्ग के साथ ही अकादमिक जगत की महत्वपूर्ण हस्तियों ने इस कार्यक्रम में भाग लिया और हिंदी बॉलीवुड गीतों के सामाजिक सरोकारों ,उसके क्रॉफ्ट , बोल ,संगीतात्मकता और उसकी लोकप्रियता साथ ही बाजार की चुनोतियों को ध्यान में रखकर अनेक महत्वपूर्ण सवाल जवाबों की श्रृंखला में कार्यक्रम आगे बढ़ा ।इस कार्यक्रम में  विभाग प्रभारी  डॉ. हंसराज सुमन व अध्यक्षता कॉलेज के प्राचार्य प्रोफेसर विपिन कुमार अग्रवाल ने की । मंच संचालन डॉ.प्रदीप कुमार सिंह व कुमारी योगिता ने किया । इस वेबिनार में विभिन्न विश्वविद्यालयों / कॉलेजों के सौ से अधिक  शिक्षक , शोधार्थी व छात्र भी जुड़े और सभी ने डॉ. सागर के व्याख्यान की प्रशंसा की ।

       सवाल जवाबों के क्रम में डॉ.सागर ने फिल्मी गीतों से जुड़ी हुई बारीकियों पर विस्तार से चर्चा करते हुए अपने संबोधन में कहा कि युवा वर्ग के सामने अच्छे गीत लिखने की चुनौती तथा बॉलीवुड में कैसे जगह बनाई जा सकती है उसके बारे में अपने जीवन संघर्षों के उदाहरण देकर आभासी मंच से जुड़े लोगों के सवालों का जवाब दिया । उन्होंने कहा कि अच्छा गीतकार बनने के लिए जमीन से जुड़े होना और साथ ही अध्ययन करना अति आवश्यक है । इसलिए युवा वर्ग को चाहिए कि अपने अनुभवों के साथ ही उसे जीवन और समाज से जुड़े मुख्य विषयों जैसे इतिहास , संस्कृति , भाषा , धर्म , मान्यताओं आदि का ठीक से अध्ययन करना आवश्यक है ।

                   डॉ. सागर ने अपने वक्तव्य में उन युवाओं से जो बॉलीवुड का सपना देख रहे है उनको संबोधित करते हुए कहा कि यदि आपके अंदर प्रतिभा और लगन है और धैर्य भी है तो आपको कोई नहीं रोक सकता । उन्होंने कहा कि बॉलीवुड की दुनिया में हजारों रजिस्टर्ड गीतकार है लेकिन उन्होंने अपना उदाहरण देते हुए कहा कि एक उत्तर प्रदेश के छोटे से गाँव और निम्न -मध्यम वर्गीय परिवार में जन्म लेने वाला भी बॉलीवुड में अपनी जगह बना सकता है लेकिन उसके पास लगन और अध्ययन दोनों होना चाहिए । उन्होंने अपनी उपलब्धि का अधिकतम श्रेय अपने विश्वविद्यालय जेएनयू तथा अपने साथियों को देते हुए कहा कि अच्छा वातावरण भी आपको आगे बढ़ा सकता है ।

                इस  विषय के स्वागत वक्तव्य में अरबिंदो कॉलेज के हिंदी विभाग के प्रभारी डॉ .हंसराज सुमन ने हिंदी गीतों की सामाजिकता व ऐतिहासिकता दोनों पर चर्चा करते हुए माना कि ये गीत हमारी संवेदना का इतिहास है । किसी भी समय के समाज को देखना हो तो उसकी संवेदना को हम गीतों में देख सकते है । साथ ही इन गीतों ने समाज को नई संवेदना दी है और हमें समाज को देखने का नजरिया भी दिया है । उन्होंने कहा कि आज बॉलीवुड को बॉलीवुड बनाने वाले यही गीत ही है। उन्होंने बताया कि कोरोना महामारी के समय मजदूरों और गरीबों के पलायन पर लिखा गया गीत -- बम्बई में काबा-- सूत्र वाक्य बन गया है । किसी भी समस्या की पड़ताल के लिए आजकल बम्बई में काबा की तर्ज पर अनेक गीत उस समस्या को उद्घाटित करने के लिए लिख रहे है । उन्होंने कहा कि हाल ही में आया बजट में काबा , तो कहने का मतलब है कि डॉ.सागर भारत की जनता के दुःखों को शब्द देने वाले गीतकार है ।

                सिनेमा में गीतों के महत्व पर बोलते हुए डॉ.हंसराज सुमन ने कहा कि फिल्मों में गीतों के कारण उसके प्रभावोत्पादकता बढ़ जाती है और वह फिल्म सहज ग्राह्य हो जाती है इसलिए बॉलीवुड गीत हमारे समाज का आईना होने के साथ ही साथ हमारे समाज के भावों , राग रंगों , श्रंगारिकता और पीड़ाओं का भी सच्चा चित्र प्रस्तुत करते है । उन्होंने आगे कहा कि डॉ.सागर जैसे प्रतिभा संपन्न गीतकार आज इतनी प्रसिद्धि तक पहुँचकर देखकर लगता है कि बॉलीवुड में गीतों का जो वर्तमान है वहीं उसके भविष्य की नींव भी है । आज के गीत जन मन की चेतना के वाहक है और इस आधार पर फिल्मी गीतों का भविष्य अत्यंत उज्ज्वल है ।

                अपने अध्यक्षीय वक्तव्य में  कॉलेज के प्राचार्य प्रोफेसर विपिन कुमार अग्रवाल ने इस अवसर पर डॉ .सागर का स्वागत किया और अपने संबोधन में कहा कि वसंत पंचमी का त्यौहार विद्या की देवी माँ सरस्वती की पूजा अर्चना भी की जाती है और ऐसे में अपनी वाणी विद्या से ओतप्रोत करने वाले बॉलीवुड के गीतकार डॉ.सागर का हमारे मध्य होना हमारी संस्कृति में विद्या तथा कला के महत्त्व को दर्शाता है । उन्होंने कहा कि गीत हमारे मानस का स्वाभाविक हिस्सा है और बॉलीवुड के गीतों ने पूरे देश की सांस्कृतिक एकजुटता को बनाए रखने में बड़ा योगदान दिया है ।

            मंच का संचालन कर रहे हिंदी विभाग के शिक्षक डॉ.प्रदीप सिंह ने कहा कि बॉलीवुड फिल्मों में गीत उसी तरह से है जैसे शरीर और आत्मा । बिना आत्मा के शरीर की कल्पना निर्जीव है और फिल्मों में गीत भारतीय मानस की आत्मा की पुकार है । उन्होंने कहा कि भारतीय दर्शक स्वभाविक रूप से गीत ,संगीत प्रेमी है इसलिए वह फ़िल्म देखते हुए माना बौद्धिक नहीं होना चाहता बल्कि भावुक भी होना चाहता है और फिल्मी गीत हमारी भावना के प्रतीक है । उन भावनाओं को उकेरने में डॉ.सागर को सिद्धि प्राप्त है ।

          गीत व संगीत के मर्मज्ञ विद्वान प्रोफेसर मुकेश गर्ग भी इस अवसर पर उपस्थित रहे और उन्होंने बहुत ही सुंदर व मार्मिक टिप्पणी करते हुए कहा कि गीतकार एक बार गीत लिख दिए जाने के बाद नुक़्ता तक परिवर्तन नहीं चाहता था लेकिन धीरे-धीरे संगीत की धुनों पर गीत लिखे जाने लगे ऐसे में गीतकारों की रचना बाधित होती है । फिर भी बाजार के ट्रेंड को देखते हुए आज बॉलीवुड में बहुत अच्छे गीतकार हमारे सामने है अब भी जिनके गीतों पर धुनें बनाई जाती है । उन्होंने डॉ .सागर की प्रशंसा की और एक उभरते हुए अव्वल दर्जे के गीतकार के रूप में माना ।

        नवोन्मेष साहित्य सभा के द्वारा आयोजित इस व्याख्यान माला में सभा के अध्यक्ष श्री योगराज सिंह ने आभासी मंच की कमान संभाली ।  योगिता , सुभम ,आयुष व रोहित आदि छात्रों ने  यूट्यूब , लाइव टेलीकास्ट करने में सहयोग दिया । अंत में सभी का धन्यवाद डॉ.  हंसराज सुमन ने किया । डॉ. विनय जैन ,डॉ.  सीमा , डॉ. रोशन लाल मीणा  के अलावा सौ से अधिक विभिन्न विश्वविद्यालयों / कॉलेजों के शिक्षक , शोधार्थी ,  छात्र ,इस व्याख्यान से जुड़े और सभी ने कार्यक्रम की  सराहना की ।

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