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आत्मनिर्भर भारत के लिए अन्नदाता का आत्मनिर्भर होना जरूरी ओ.पी. यादव

:- आरपीएस ग्रुप ऑफ इंस्टीट्यूशन्स के संस्थापक निदेशक डॉ. ओ.पी. यादव मुख्य अतिथि तथा दिल्ली विश्वविद्यालय के प्रो. आर.पी. तुलसीयान विशिष्ठ अतिथि के रूप में रहे उपस्थित

 

हरियाणा: हरियाणा केंद्रीय विश्वविद्यालय (हकेवि), महेंद्रगढ़ में शनिवार को दो दिवसीय कार्यशाला व गौधन आधारित उत्पादों की प्रदर्शनी का समापन हुआ। विश्वविद्यालय के नवाचार एवं उद्भवन केंद्र द्वारा उन्नत भारत अभियान के तहत विश्वविद्यालय द्वारा गोद लिए गए गांवों के किसानों को आत्मनिर्भर बनाने हेतु इस प्रशिक्षण कार्यशाला के दूसरे दिन आरपीएस ग्रुप ऑफ इंस्टीट्यूशन्स के संस्थापक निदेशक डॉ. ओ.पी. यादव मुख्य अतिथि तथा दिल्ली विश्वविद्यालय दिल्ली के प्रबंधन विभाग के आचार्य प्रो. आर.पी. तुलसीयान विशिष्ठ अतिथि के रूप में उपस्थित रहे। विश्वविद्यालय कुलपति प्रो. टंकेश्वर कुमार के दिशा-निर्देशन में आयोजित इस कार्यशाला में किसानों ने उत्साहपूर्वक प्रतिभागिता की।

कार्यशाला के समापन सत्र के मुख्य अतिथि डॉ. ओ.पी. यादव ने अपने संबोधन में कहा कि भारत की 70 प्रतिशत जनसंख्या कृषि द्वारा अपनी आजीविका चलाती है। देश की अर्थव्यवस्था में किसानों का बहुत बड़ा योगदान रहा है इसलिए भारत को आत्मनिर्भर बनाने के लिए भारत के किसानों को आत्मनिर्भर बनाना बहुत जरूरी है। उन्होंने कहा कि विश्वविद्यालय द्वारा गोद लिए गए गांवों को आत्मनिर्भर बनाने के लिए शुरु की गई इस पहल का लाभ अवश्य ही किसानों को मिलेगा।

कार्यक्रम में विशिष्ठ अतिथि प्रो. आर.पी. तुलसीयान ने कहा कि हरियाणा केंद्रीय विश्वविद्यालय देश का पहला ऐसा विश्वविद्यालय है, जो शिक्षा, विज्ञान व तकनीकी के साथ-साथ किसानों को भी आत्मनिर्भर बनाने के लिए कार्य कर रहा है।

इस अवसर पर विश्वविद्यालय के कुलसचिव प्रो. सुनील कुमार ने विश्वविद्यालय द्वारा किए जा रहे कार्यों को विस्तार से प्रतिभागियों के समक्ष रखा। उन्होंने कहा कि विश्वविद्यालय क्षेत्र के गांवों को समृद्ध बनाने की दिशा में प्रयासरत है। विश्वविद्यालय के नवाचार एवं उद्भवन केंद्र की संयोजक प्रो. सुनीता श्रीवास्तव ने प्रतिभागियों को संबोधित करते हुए कहा कि कुलपति महोदय के निर्देशन में विश्वविद्यालय शिक्षा के साथ-साथ सामाजिक सरोकारों के मोर्चे पर भी कार्य कर रहा है। उन्होंने कहा कि नवाचार एवं उद्भवन केंद्र में किसान हितैषी शोध व अनुसंधान कार्य किए जा रहे हैं।

कार्यक्रम में मालड़ा, लावन, भगडाना, ढाणा, सेहलंग के किसान, विभिन्न गांवों के सरपंच, विश्वविद्यालय के शिक्षक, अधिकारी, विद्यार्थी व शोधार्थी उपस्थित रहे।

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