- * कॉलेजों/ विभागों में कितने छात्रों के एडमिशन हुए हैं पहले आंकड़े मंगवाए जाये, उसके बाद स्पेशल ड्राइव चलाया जाए ।
- * कॉलेज रिक्त पड़ी आरक्षित श्रेणी की सीटों को अपनी वेबसाइट पर डिस्प्ले करे ।
- * आरक्षित श्रेणी के छात्रों की सैंकड़ों सीटें खाली , कॉलेज नहीं दे रहे हैं आंकड़े -- डॉ .सुमन
नई दिल्ली। फोरम ऑफ एकेडेमिक्स फॉर सोशल जस्टिस के चेयरमैन व पूर्व विद्वत परिषद सदस्य डॉ. हंसराज सुमन ने दिल्ली यूनिवर्सिटी के कुलसचिव को पत्र लिखकर मांग की है कि शैक्षिक सत्र --2024 --25 में स्नातक स्तर ( अंडर ग्रेजुएट ) पर कॉलेजों में खाली पड़ी आरक्षित श्रेणी की सीटों के लिए स्पॉट राउंड के बाद स्पेशल ड्राइव चलाने की मांग की है । अभी भी कैम्पस से बाहर के कुछ कॉलेजों में 5 से 7 फीसदी सीटें खाली पड़ी हुई है । डॉ. सुमन ने स्नातक स्तर पर छात्रों के लिए स्पेशल ड्राइव चलाने से पहले कॉलेजों से सब्जेक्ट्स वाइज आंकड़े मंगवाएं जाने की भी मांग की है ताकि पता चल सके कि कॉलेजों ने अपने यहां स्वीकृत सीटों से ज्यादा कितने एडमिशन सामान्य वर्गो के छात्रों के किये हैं तथा उसकी एवज में आरक्षित वर्ग की कितनी सीटों पर एडमिशन दिया गया है । जब उनसे ये आंकड़े उपलब्ध हो जायें तभी यूनिवर्सिटी कॉलेजों के प्रिंसिपलों को एक सर्कुलर जारी कर खाली पड़ी आरक्षित श्रेणी की सीटों के लिए स्पेशल ड्राइव चलाना चाहिए ।
डॉ. सुमन ने बताया है कि यूजीसी व केंद्र सरकार ने आरक्षित श्रेणी की सीटों को भरने के लिए एससी--15 % ,एसटी--7:5 % ओबीसी--27 % ,पीडब्ल्यूडी--5 % , ईडब्ल्यूएस--10 % आरक्षण दिए जाने का प्रावधान किया गया है। जब तक इन वर्गों का कोटा पूरा नहीं हो जाता विश्वविद्यालय/कॉलेजों को स्पेशल ड्राइव चलाकर इन सीटों को भरना होता है लेकिन शैक्षिक सत्र -2022--23 से विश्वविद्यालय प्रशासन ने नई शिक्षा नीति के तहत सीयूईटी ( CUET ) के अंतर्गत कॉलेजों को सीटें आबंटित की है । कॉलेजों में अभी भी 5 से 7 फीसदी सभी विषयों की सीटें खाली पड़ी है । इन सीटों में सबसे ज्यादा सीटें एससी /एसटी /ओबीसी कोटे के छात्रों की है । उन्होंने बताया है कि हर साल आरक्षित श्रेणी के छात्रों की सीटें खाली रह जाती है , इस साल भी सीटें खाली पड़ी है लेकिन कॉलेजों ने अभी तक अपनी वेबसाइट पर उन खाली पड़ी सीटों को डिस्प्ले नहीं किया ।
फोरम के चेयरमैन डॉ. हंसराज सुमन ने डीयू के कुलसचिव को लिखे पत्र में बताया है कि राष्ट्रीय शिक्षा नीति के तहत शैक्षिक सत्र--2022 --23 से सीयूईटी ( CUET ) दिल्ली विश्वविद्यालय के विभिन्न विभागों/कॉलेजों में एससी/एसटी/ओबीसी/पीडब्ल्यूडी/ ईडब्ल्यूएस कोटे के अंतर्गत स्नातक स्तर ( अंडर ग्रेजुएट ) के छात्रों की विश्वविद्यालय प्रशासन अपने स्तर पर सीटों को आबंटित करता है । इससे पहले कॉलेजों द्वारा सब्जेक्ट्स वाइज व कट ऑफ के आधार पर एडमिशन दिया जाता था लेकिन तीसरी बार सीयूईटी के माध्यम से छात्र अपनी पसंद के सब्जेक्ट्स व कॉलेज चुनते हैं । डॉ. सुमन ने बताया है कि डीयू प्रशासन द्वारा सीटों को आबंटित करने के बावजूद कॉलेजों में सीटें खाली पड़ी हुई है । उन्होंने इसका सबसे बड़ा कारण डीयू में एडमिशन प्रॉसेस का विलंब से शुरू करना है जिसके कारण अधिकांश छात्रों ने पहले ही दूसरे विश्वविद्यालय / कॉलेजों व दिल्ली एनसीआर में बनी प्राइवेट यूनिवर्सिटीज में एडमिशन ले चुके है ।
उनका कहना है कि यदि समय पर सीयूईटी की परीक्षा कराई जाती तो कॉलेजों में आरक्षित श्रेणी की सीटें खाली नहीं रहती । साथ ही आरक्षित वर्गों के छात्रों को कितनी छूट दी गई है उसके विषय में जानकारी नहीं दी । उन्होंने पत्र में लिखा है कि हर वर्ष स्नातक व स्नातकोत्तर स्तर पर कॉलेजों में आरक्षित श्रेणी से संबंधित छात्रों की अलग-अलग कॉलेजों में, अलग-अलग विषयों में बहुत सारी सीटें खाली रह जाती है किन्तु कॉलेजों द्वारा अपने यहाँ इन खाली सीटों को भरने के लिए विश्वविद्यालय प्रशासन को नहीं लिखते , ना ही कॉलेज अपनी वेबसाइट पर खाली सीटों का ब्यौरा देते । उनका कहना है कि अंडरग्रेजुएट स्तर पर एडमिशन लिए छात्रों की क्लासेज शुरू हो चुकी है लेकिन अंडरग्रेजुएट स्तर पर कैम्पस के बाहर के कॉलेजों में सीटे खाली पड़ी हुई है।
डॉ. सुमन का कहना है कि कॉलेजों में सीटों के खाली रहने पर छात्रों के प्रवेश के लिए हर साल स्पेशल ड्राइव चलाया जाता है लेकिन इस बार विश्वविद्यालय प्रशासन खाली पड़ी आरक्षित श्रेणी की सीटों के लिए कब स्पेशल ड्राइव चलाएगा , कोई सूचना नहीं है । उनका कहना है कि हालांकि कॉलेजों में श्रेणी वार एससी /एसटी /ओबीसी /पीडब्ल्यूडी , ईडब्ल्यूएस व सामान्य वर्गों के छात्रों का कितना एडमिशन हुआ है उसके आंकड़े विश्वविद्यालय प्रशासन को मंगवाकर खाली पड़ी सीटों को वेबसाइट पर पहले डिस्प्ले करें उसके बाद स्पेशल ड्राइव चलाए। उन्होंने बताया है कि पिछले साल भी आरक्षित श्रेणी की सीटें खाली रह गई थी और छात्र प्रवेश लेने से वंचित रह गए थे । इस वर्ष भी वहीं स्थिति न दोहराई जाए ।
कॉलेज वेबसाइट पर डाटा डिस्प्ले नहीं करते--डॉ. सुमन ने बताया है कि यूजीसी के नियमानुसार प्रत्येक विश्वविद्यालय/संस्थान/कॉलेज को अपने यहां हो रहे शिक्षकों/कर्मचारियों व छात्रों के प्रवेश संबंधी आंकड़ों को कॉलेज/संस्थान अपनी वेबसाइट पर डिस्प्ले करना अनिवार्य है लेकिन कोई भी कॉलेज इस नियम का पालन नहीं करते,जबकि हर साल यूजीसी विश्वविद्यालयों/संस्थानों को वेबसाइट पर डाटा डिस्प्ले करने संबंधी सर्कुलर जारी करता । डॉ. सुमन ने पुनः यह मांग की है कि अभी तक कितने छात्रों के एडमिशन हुए हैं उन्हें कॉलेज वाइज विश्वविद्यालय की वेबसाइट पर डिस्प्ले करें ताकि वास्तविकता पता चल सके कि अभी तक कितने एडमिशन हुए हैं और किन वर्गों की कितनी सीटें खाली पड़ी हुई है । उन्होंने मांग की है कि कॉलेजों में हुए एडमिशन का 20 सितम्बर 2024 तक का डाटा मंगवाया जाए क्योंकि कॉलेजों द्वारा दिल्ली विश्वविद्यालय के प्रवेश संबंधी दिशा निर्देशों का घोर उल्लंघन कर रहे हैं। उन्होंने बताया है कि आरक्षित वर्ग के छात्रों द्वारा इस संदर्भ में दिल्ली विश्वविद्यालय की ग्रीवेंस सेल में शिकायत करने पर समस्या के समाधान की बजाय उन्हें परेशान किया जाता है । कोई ठीक से जानकारी नहीं देते।
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