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पर्यावरण संरक्षण के लिए जैवोपचरण प्रक्रिया अति आवश्यकः प्रो. टंकेश्वर कुमार

:- यह विचार हरियाणा केंद्रीय विश्वविद्यालय (हकेवि), महेंद्रगढ़ के कुलपति प्रो. टंकेश्वर कुमार ने विश्वविद्यालय के औद्योगिक प्रबंधन विभाग द्वारा आयोजित वेबिनार को संबोधित करते हुए व्यक्त किए

 

हरियाणा: आज बढ़ती हुई जनसंख्या, औद्योगिकरण, वायु प्रदूषण, जल प्रदूषण, मृदा प्रदूषण, बायोमेडिकल अपशिष्ट और विभिन्न उद्योगों से निकलने वाले प्लास्टिक अपशिष्ट ने दुनिया के सामने एक विकट समस्या का रुप धारण कर लिया हैं। इसका मुख्य कारण अपशिष्ट का सही प्रबंधन न होना है। यह समस्या बड़ें महानगरों में निरंतर बढ़ती जा रही है, जिसके परिणामस्वरूप विभिन्न खतरनाक बिमारियां भी पनप रही हैं। अपशिष्ट प्रबंधन हेतु  जैवोपचारण प्रक्रिया मुख्य भूमिका अदा करती है। इस प्रक्रिया में सूक्ष्मजीवों जैसे जीवाणुओं या उनके एंजाइंमों का उपयोग करके किसी संदूषित हो चुके पर्यावरण को पुनः उसकी मूल स्थिति में लाने का प्रयास किया जाता है। वर्तमान समय मे बढ़ते विभिन्न प्रकार के प्रदूषण को सुलझाने में जैवोपचारण एक प्रभावी प्रक्रिया है।

यह विचार हरियाणा केंद्रीय विश्वविद्यालय (हकेवि), महेंद्रगढ़ के कुलपति प्रो. टंकेश्वर कुमार ने विश्वविद्यालय के औद्योगिक प्रबंधन विभाग द्वारा आयोजित वेबिनार को संबोधित करते हुए व्यक्त किए। आईआईटी रूडकी के हाइड्रोलोजी विभाग के विभागध्यक्ष प्रो. बृजेश यादव इस आयोजन में मुख्य वक्ता के रूप में उपस्थित हुए।

प्रो. बृजेश यादव ने अपने संबोधन में जैवोपचारण पर विस्तृत चर्चा करते हुए कहा कि जैवोपचारण का उपयोग कुछ विशिष्ट संदूषकों जैसे कि क्लोरीन युक्त कीटनाशक जिनका क्षरण जीवाणुओं द्वारा किया जाता है जिसमें उर्वरकों का प्रयोग कर जीवाणुओं द्वारा कच्चे तेल में अपघटन की प्रक्रिया को तेज करना शामिल है। विश्वविद्यालय के व्यवसायिक अध्ययन एवं कौशल विकास विभाग के विभागध्यक्ष प्रो. पवन कुमार मौर्य ने बताया कि अपशिष्ट प्रबंधन के आधुनिक तरीकों से रूबरू करवाने के लिए विभाग ऐसे विशेषज्ञ व्याख्यानों का आयोजन कुलपति के दिशा-निर्देशन में समय- समय पर करता है। कार्यक्रम की संयोजक डॉ. सुषमा यादव  ने बताया कि प्रदूषण आज के समय की सबसे बडी समस्या है। आज के व्याख्यान से निश्चय ही हमारे विद्यार्थी भविष्य मे इस तकनीक को अपनी शोधकार्य में अपनाकर शोध को विकसित करने में सहयोग करेंगे। कार्यक्रम के अंत में धन्यवाद ज्ञापन प्रदीप चौहान के प्रस्तुत किया। उन्होंने कहा कि विभाग भविष्य में भी इस प्रकार के वेबिनार और विशेषज्ञ व्याख्यान का आयोजन करता रहेगा।

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