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दिल्ली सरकार के 12 पूर्ण वित्त पोषित कॉलेजों को दिल्ली विश्वविद्यालय अपने अधीन ले : फोरम

दिल्ली सरकार 12 कॉलेजों के सभी बकाया फंड को यथाशीघ्र जारी करे नहीं तो दिल्ली विश्वविद्यालय के शिक्षक अपनी मांग को लेकर आंदोलन करेंगे।

 

नई दिल्ली। फोरम ऑफ एकेडेमिक्स फॉर सोशल जस्टिस ने दिल्ली सरकार से संबद्ध पूर्ण वित्त पोषित 12 कॉलेजों में फंड कटौती व शिक्षकों / कर्मचारियों को समय पर वेतन न मिलने पर चिंता जताई है। इन कॉलेजों के शिक्षकों व कर्मचारियों को जहाँ हर महीने समय पर वेतन नहीं मिल रहा है वहीं लंबे समय से इनमें नियुक्ति व पदोन्नति भी नहीं की जा रही। इनमें से 7 कॉलेजों में प्रिंसिपल पदों पर स्थायी नियुक्ति की जानी है। इससे पहले किसी भी दिल्ली सरकार के समय उच्च शिक्षा के सामने ऐसा संकट देखने को नहीं मिला था जैसा कि आम आदमी पार्टी के नेतृत्व वाली सरकार के समय देखने को मिल रहा है। इसलिए अव्यवस्था और आर्थिक संकट से जूझ रहे दिल्ली सरकार के पूर्ण वित्त पोषित कॉलेजों को तुरंत दिल्ली विश्वविद्यालय को अपने अधीन ले लेना चाहिए । 

फोरम के चेयरमैन डॉ. हंसराज सुमन ने बताया है कि दिल्ली सरकार उच्च शिक्षा के मामले में हर स्तर पर विफल रही है। दिल्ली सरकार का उच्च शिक्षा का बहुचर्चित मॉडल दिल्ली के छात्रों की बुनियादी आवश्यकताओं को पूरा करने में सक्षम नहीं रहा है। यह पूरी तरह से विफल रहा है। आप सरकार ने जनता के सामने चुनावी वायदा किया था कि वे सत्ता में आएंगे तो दिल्ली के छात्रों के लिए 20 नए कॉलेज खोलेंगे। उनका कहना है कि पिछले नौ वर्षों में दिल्ली सरकार ने एक भी कॉलेज नहीं खोला, पूर्ण वित्त पोषित जो कॉलेज चल रहे थे उनको भी दिल्ली सरकार सही से नहीं संभाल पा रही है। डॉ. सुमन का यह भी कहना है कि आम आदमी पार्टी के नेतृत्व वाली दिल्ली सरकार ने पूर्ण वित्त पोषित 12 कॉलेजों की प्रबन्ध समिति के साथ-साथ सरकार के वित्त पोषित 20 कॉलेजों का सिर्फ़ राजनीतिकरण किया है। जब से आम आदमी पार्टी सत्ता में आई है उन्होंने अपने कार्यकाल में प्रिंसिपल, शिक्षकों व कर्मचारियों की स्थायी नियुक्ति भी नहीं होने दी है। 

डॉ. हंसराज सुमन का कहना है कि 16 दिसम्बर 2022 से पूर्व कॉलेजों की प्रबंध समितियों में आम आदमी पार्टी के ही चेयरमैन व कोषाध्यक्ष थे बावजूद इसके शिक्षकों का रोस्टर तक पास नहीं करा सकें। उन्होंने बताया है दिल्ली सरकार के लगभग 20 कॉलेजों में स्थायी प्रिंसिपलों की नियुक्ति की जानी है और 2000 से अधिक शिक्षकों की नियुक्ति होनी है लेकिन इन्होंने शिक्षकों व कर्मचारियों की नियुक्ति नहीं होने दी। जहाँ स्थायी प्रिंसिपल थे सिर्फ़ वहीं दिल्ली विश्वविद्यालय प्रशासन के दबाव में शिक्षकों व कर्मचारियों का रोस्टर पास कराकर नियुक्ति की प्रक्रिया शुरू की गई है। इस दिशा में शहीद भगतसिंह कॉलेज, दिल्ली कॉलेज ऑफ आर्ट्स एंड कॉमर्स व स्वामी श्रद्धानंद कॉलेज आदि में स्थायी नियुक्ति जारी है। डॉ.सुमन का कहना है कि दिल्ली सरकार के पूर्ण वित्त पोषित 12 कॉलेजों में एक तरफ इमारतों, क्लास-रूम, प्रयोगशालाओं, छात्राओं के कॉमन रूम, शौचालय, दिव्यांग छात्रों के लिए रैम्प, लिफ्ट व अन्य उपकरण जैसी बुनियादी ढांचागत सुविधाओं को पूरा करने में ये कॉलेज विफल रहे हैं। दूसरी ओर वेतन, भत्ता, बकाया, चिकित्सा बिल, एलटीसी बिल आदि का भुगतान भी समय पर नहीं किया गया है, यदि कहीं भुगतान हुआ है तो अपर्याप्त ही हुआ है । 

फोरम की यह भी मांग है कि पूर्ण वित्त पोषित 12 कॉलेजों के लिए दिल्ली सरकार 100 करोड़ रुपये की राशि तत्काल प्रभाव से जारी करे जिससे कि वेतन, भत्ते, 7वें वेतन आयोग में पदोन्नति की लंबित बकाया राशि, चिकित्सा बिल, बच्चों के शिक्षा भत्ते आदि बकाया राशि का भुगतान किया जा सके। फोरम ने दिल्ली विश्वविद्यालय के कुलपति से मांग की है कि दिल्ली सरकार के कॉलेजों में बनने वाली प्रबन्ध समिति के सदस्यों की सूची कार्यकारी परिषद ( ईसी ) में पास न करे बल्कि इन कॉलेजों को दिल्ली विश्वविद्यालय सीधे अपने अधीन लेने की प्रक्रिया आरंभ करें और जल्द से जल्द इन कॉलेजों में भी शिक्षकों व कर्मचारियों की स्थायी नियुक्ति की प्रक्रिया शुरू कराने के लिए प्रिंसिपलों को सर्कुलर जारी करे ।

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